धनबाद(DHANBAD): अभी पूरे देश में क्रिकेट की चर्चा है. वर्ल्ड कप हारने के बाद भारतवासियों का दिल टूटा है. चौक -चौराहे पर अभी चुनाव से अधिक क्रिकेट की चर्चा चल रही है. कोयलांचल भी इसमें पीछे नहीं है. लेकिन यहां के लोगों में एक "टीस" है और वह "टीस" है क्रिकेट स्टेडियम नहीं होने का. धनबाद की धरती पर अजहरुद्दीन, सौरभ गांगुली, सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी, युवराज सिंह, हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ी खेल की जादूगरी दिखा चुके है. बावजूद बिहार की बात कौन कहे, झारखंड बनने के बाद भी धनबाद को स्टेडियम नसीब नहीं हुआ. रांची के बाद बोकारो और गढ़वा में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम तैयार हो रहे है. लेकिन धनबाद यहां भी "बैक बेंचर्स" बना हुआ है. धनबाद में बीसीसीएल, ईसीएल , सिम्फ़र ,टिस्को,सेल जैसे संस्थान भी है. अभी सिंदरी में हर्ल कंपनी शुरू हुई है.
अगर कंपनियां ग्राउंड न दें तो खेल भी बंद
गिरिडीह को मिला दिया जाए तो धनबाद से दो सांसद और छह विधायक है. गिरिडीह संसदीय क्षेत्र का कुछ इलाका धनबाद में पड़ता है. लेकिन स्टेडियम नहीं दिला पाए. झारखंड बनने के साथ तो धनबाद से पांच- पांच ताकतवर मंत्री बने लेकिन स्टेडियम नहीं दिला पाए. यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है बिहार के समय से ही धनबाद क्रिकेट का एक प्रमुख केंद्र रहा है. जमशेदपुर के बाद धनबाद को ही झारखंड में क्रिकेट का स्थान मिला था. धनबाद में क्रिकेट का खेल रेलवे, बीसीसीएल, टिस्को और सेल जैसी कंपनियों पर निर्भर है. अगर यह कंपनी अपना ग्राउंड देना बंद कर दें तो यहां खेल भी बंद हो जाएंगे. धनबाद में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम के लिए धनबाद क्रिकेट संघ को 20 एकड़ जमीन की जरूरत है.
चाहिए केवल बीस एकड़ जमीन
यह 20 एकड़ जमीन सरकार नहीं दिला पा रही है. धनबाद क्रिकेट संघ ने कई जगहों पर जमीन की गुहार लगाई लेकिन जमीन नहीं मिली. सिर्फ जमीन की ही बात है, राशि तो क्रिकेट संघ ही जुगाड़ करेगा. धनबाद क्रिकेट संघ को भरोसा भी मिला हुआ है कि जमीन का इंतजाम करें, पैसे की कोई चिंता नहीं है. बीसीसीआई इसके लिए कम से कम 25 करोड रुपए देने के लिए राजी है. फंड की कोई चिंता नहीं है, सिर्फ जमीन ही धनबाद में स्टेडियम के लिए बाधक बनी हुई है. धनबाद की आबादी फिलहाल 29 लाख से अधिक है. क्रिकेट के खिलाड़ी भी है. शाहनवाज नदीम जैसा अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देने का सौभाग्य भी धनबाद के पास है, फिर भी स्टेडियम नहीं होना 29 लाख लोगों को कचोटता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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