धनबाद (DHANBAD) : कोयलाकर्मियों की उम्मीद पर तुषारापात हो गया है. वित्तीय वर्ष 24- 25 में भी उनके प्रोविडेंट फंड पर 7.6 प्रतिशत ही ब्याज मिलेगा. यानी पिछले साल की दर में कोई बृद्धि नहीं की गई है. हैदराबाद में शुक्रवार को हुई सीएमपीएफओ बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में इस पर निर्णय ले लिया गया है. अब सिर्फ वित्त मंत्रालय से स्वीकृति लेना बाकी है. स्वीकृति मिलते ही सब कुछ क्लियर हो जाएगा और ब्याज दर की राशि कोयलाकर्मियों के प्रोविडेंट फंड से जुड़ जाएगी. सूत्र बताते हैं कि बैठक में पेंशन फंड को और मजबूत करने पर विस्तार से चर्चा हुई.
कोल इंडिया सेस की राशि बढ़ाये ,नहीं तो होगी मुश्किल
हालांकि किसी मुद्दे पर सहमति नहीं बनी , कई सुझाव भी दिए गए. एक महत्वपूर्ण सुझाव आया कि कोल् इंडिया प्रतिटन उत्पादित कोयले पर 20 से ₹25 तक सेस उपलब्ध कराये. सूत्र यह भी बताते हैं कि कोयला सचिव ने कोल इंडिया चेयरमैन को कहा कि पेंशन फंड को लेकर ठोस निर्णय के साथ अगली बोर्ड की बैठक में उपस्थित हो. इस कमेटी की पिछली बैठक 8 जनवरी 2025 को हुई थी. जिसमें सहमति बनी थी कि पेंशन की जिम्मेवारी नियोक्ता की है. शुक्रवार की बैठक में इस पर भी चर्चा हुई.
फंड मैनेजर के चयन पर हो गया है फैसला
बैठक में फंड मैनेजर के चयन समेत अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई. बताया जाता है कि सीएमपीएफओ के पेंशन फंड के निवेश पर नजर रखने के लिए सलाहकार नियुक्त करने का भी निर्णय लिया गया. पीएफ फंड के निवेश से कम आमदनी की वजह से ब्याज दर कम मिलती है. ज्यादा आमदनी होने से ज्यादा ब्याज मिल सकता है. बता दें कि सीएमपीएफओ में पेंशन फंड की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. जमा से ज्यादा निकासी होने के कारण लंबे समय तक पेंशन फंड को जिंदा रखने के लिए अतिरिक्त आर्थिक मदद की जरूरत है. सीएमपीएफओ को कोल् इंडिया की ओर से प्रतिटन कोयला उत्पादन पर ₹10 पेंशन फंड के लिए दिया जाता है. इस रकम को 20 से ₹25 तक करने पर जोर दिया जा रहा है. लेकिन इस पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.
अब तो अस्तित्व ही खत्म करने की मांग उठने लगी है
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कोयला खान भविष्य निधि संगठन (CMPF0 )का अस्तित्व ही खत्म करने की मांग अब उठ गई है. कोल माइंस पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रामानुज प्रसाद ने कहा है कि हमारी मांग है कि सीएमपीएफओ को कोल इंडिया लिमिटेड में विलय कर दिया जाए और अंशदाता की पेंशन आदि की व्यवस्था कोल इंडिया लिमिटेड करे. इस प्रकार करने से अंशदाता की जमा राशि का 4% प्रशासनिक खर्च भी बचेगा और अंशदाताओं को राशि भी समय पर मिल जाएगी. उन्होंने कहा है कि कोयला खान भविष्य निधि संगठन की स्थापना भारत सरकार के श्रम और नियोजन मंत्रालय के अधीन हुई थी. जिसका उदेश्य अंशदाता का हित सुनिश्चित करना था.
संसद से पारित अधिनियम के तहत CMPF0 का गठन हुआ था
संसद से पारित अधिनियम के तहत CM PF miscellaneous rules, 1948 बना था. जिसके तहत इस संगठन को अधिकृत किया गया था कि नियोक्ता अगर अंशदाता से काटी गई राशि को समय पर CMPF0 में जमा नहीं करता है, तो नियोक्ता को दंडित कर सकता है. किंतु श्रम और रोजगार मंत्रालय से कोयला मंत्रालय में आने के बाद यह संस्था शक्तिविहीन हो गई है. अपेक्षित कार्य करने में असमर्थ हो गया है. अंशदाता का कोई काम नहीं हो पा रहा है. हाल ही में संपन्न हुई ट्रस्टी बोर्ड के बैठक में कोयला मंत्रालय के प्रतिनिधि ने कहा तह कि पेंशन जारी रखना और भरपाई नियोक्ता की जिम्मेवारी है. ऐसे में CMPF0 की कोई उपयोगिता नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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