धनबाद(DHANBAD): कोयलांचल में कोयला चोरी के एक अलग तरह के नेटवर्क का खुलासा हुआ है. बीसीसीएल के बस्ता कोला क्षेत्र में जीपीएस से छेड़छाड़ कर कोयला चोरी के मामले को आधार बनाकर यदि प्रबंधन, पुलिस अथवा सीआईएसएफ जांच को आगे बढ़ाएं तो बहुत बड़ा खुलासा हो सकता है. बीसीसीएल के अधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं, सीआईएसएफ वाले भी आ सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि क्या ऐसा होगा. इस मामले को भी क्या ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा. सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि वाहन के ट्रिप कार्ड में बीसीसीएल के अधिकारी, सीआईएसएफ जवान के हस्ताक्षर हैं ,फिर यह कोयला बाहर कैसे गया. प्रबंधन के पास भी इसका जवाब नहीं है. सोमवार की रात बस्ताकोला क्षेत्र के के ओ सीपी परियोजना से बोर्रा गड़ रेलवे साइडिंग के लिए कोयला लोड दो हाईवा चले थे. लेकिन निर्धारित रूट से अलग होकर शिमला बहाल कुमार मंगलम स्टेडियम की ओर चले गए. वहां पर लगे जीपीएस सिस्टम से छेड़छाड़ कर लापता हो गए. कोयला को वही झाड़ी के पास गिरा दिया गया. इसकी जानकारी प्रबंधन को होने पर सीआईएसएफ को सूचना दी गई. जांच की गई तो कोयला झाड़ी के पास गिरा हुआ पाया गया. कोयला गिराने के बाद हाईवा रेलवे साइडिंग पहुंचा था. सीआईएस फ ने उसे कब्जे में ले लिया. इसके बाद दूसरे वाहन को भी जब्त कर लिया गया.
बीसीसीएल में ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर भी कोयले की चोरी
जानकारी मिलने पर बीसीसीएल के अधिकारी ने केंदुआडी थाने में कोयला चोरी की शिकायत की. सीआईएसएफ ने दोनों हाईवा के चालक व खलासी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. इस मामले का खुलासा होने के बाद इलाके में हड़कंप मचा हुआ है. उच्च प्रबंधन अगर इसे आधार बनाकर जांच कराए तो बहुत बड़ा रैकेट का खुलासा हो सकता है. लेकिन सवाल उठता है कि ऐसा होगा. निश्चित रूप से संगठित कोयला चोर गिरोह द्वारा यह सब कराया जा रहा होगा. घटना से इस बात की भी पुष्टि होती है कि केवल अवैध उत्खनन से ही कोयले की चोरी नहीं हो रही है बल्कि बीसीसीएल में ट्रांसपोर्टिंग के नाम पर भी कोयले की चोरी हो रही है. बीसीसीएल कोयला चोरी रोकने के लिए नई-नई तरकीब अख्तियार कर रही है लेकिन कोयला चोरी में लगे गिरोह उससे भी आगे बढ़ते हुए काम कर रहे हैं. एक अनुमान के अनुसार बीसीसीएल जितना ऑन रिकॉर्ड कोयले का उत्पादन करती है ,उतनी ही मात्रा में कोयले की चोरी हो जाती है. फिर भी प्रबंधन इसे रोकने के लिए उपाय तो करता है लेकिन उस उपाय में विश्वास की कमी होती है. नतीजा होता है कि कोयला चोरी नहीं रुकता. जितनी भी एजेंसियां कोयलांचल में कार्यरत है, कोई सच्चे मन से नहीं चाहती कि कोयला चोरी रुके. वजह स्पष्ट है. सभी की कहीं ना कहीं, कोई ना कोई भूमिका है. जिस वजह से कोयला क्षेत्र में कोयला चोरी लाइलाज बीमारी बन गई है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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