Coal Production: झारखंड में उत्पादित कोयले पर रॉयल्टी को लेकर आया बड़ा अपडेट, पढ़िए डिटेल्स में !

धनबाद (DHANBAD) : झारखंड में उत्पादित कोयला चाहे किसी भी कारण से रियायत दर पर बिके, लेकिन झारखंड सरकार बाजार दर से ही कोयले पर रॉयल्टी वसूल करेगी. इससे झारखंड में उत्पादित कोयले के मूल्य बढ़ेंगे. हो सकता है कि कोयला कंपनियों के साथ टकराव भी बढ़े, यह भी होगा कि झारखंड के कोयले से उत्पादित बिजली महंगी मिलने लगे. यह अलग बात है कि झारखंड सरकार के राजस्व में भारी बढ़ोतरी होगी. लेकिन इसके साइड इफेक्ट भी कम नहीं होंगे. सूत्रों के अनुसार अप्रैल महीने से राज्य सरकार कोयले पर बाजार दर के हिसाब से रॉयल्टी वसूल करेगी. पावर प्लांट हो या खुले बाजार में बिकने वाला कोयला, सब पर एक बराबर रॉयल्टी ली जाएगी.
झारखंड सरकार ने रॉयल्टी प्रक्रिया में बदलाव किया है
सरकार ने रॉयल्टी प्रक्रिया में बदलाव किया है. कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला हो गया है. यह फैसला अप्रैल 2025 से लागू होगा. राज्य सरकार का मानना है कि राज्य के खनिज राजस्व का मुख्य स्रोत कोयला है. राज्य में स्थित कोयला कंपनियों द्वारा 85% कोयला पावर प्लांट को जाता है. पावर प्लांट को दिए जाने वाले कोयल की कीमत कोल इंडिया निर्धारित करती है. शेष 15% कोयले को खुले बाजार में ई-ऑक्शन के जरिए बेचा जाता है. इसका मूल्य पावर प्लांट को भेजे जाने वाले कोयले से अधिक होता है. सूत्रों के अनुसार पावर प्लांट को भेजे जाने वाले कोयले की कीमत अभी ₹1100 प्रति टन है.
ई-ऑक्शन के माध्यम से बेचे जाने वाले कोयले की कीमत अधिक होती
वहीं खुले बाजार में ई-ऑक्शन के माध्यम से बेचे जाने वाले कोयले की कीमत लगभग ₹2500 प्रति टन होती है. कभी-कभी और भी बढ़ जाती है. लेकिन अब राज्य सरकार ई-ऑक्शन की दर के हिसाब से कोयल पर रॉयल्टी लेगी. इस बात को लेकर कोयला कंपनी और राज्य सरकार सहित कोयला मंत्रालय के बीच टकराव के आसार पैदा हो सकते है. बता दें कि झारखंड में कोल इंडिया के टारगेट का सबसे अधिक कोयला निकलता है. झारखंड में कोयला कर्मियों की संख्या सबसे अधिक है. कोल इंडिया के तीन अनुषंगी इकाइयां बीसीसीएल, सीसीएल, सीएमपीडीआईएल तो यहां है ही. साथ ही ईसीएल की तीन बड़ी इकाइयां झारखंड में है. राजमहल, मुगमा और चित्रा इसमें शामिल है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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