धनबाद (DHANBAD) : जब टाटा की खदानों से नहीं होती है कोयले की चोरी तो बीसीसीएल में क्यों कोयला चोरी कुटीर उद्योग बन गया है. यह सवाल पहले भी उठते रहे हैं. फिर एक बार उठे हैं. बीसीसीएल के गोविंदपुर क्षेत्रीय कार्यालय में अंचल स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में गुरुवार को यह प्रश्न फिर उठा. इस पर चर्चाएं हुई. समाधान के उपायों पर मंथन हुआ. अधिकारियों ने ठोस कार्रवाई करने का निर्णय लिया. अब सवाल उठता है कि इस निर्णय पर किस हद तक अमलीजामा पहनाया जाता है क्योंकि बैठक तो लगातार होती है. निर्णय भी लिए जाते हैं. अभियान भी चलता है. छापेमारी भी होती है लेकिन कोयला चोरी बंद नहीं होती. मंथन के दौरान यह बात भी सामने आई कि टाटा कंपनी पूरी सिस्टम के साथ अपना काम करती है. वहां राजनीतिक पैठ भी इतनी अधिक नहीं होती है. निर्णय लिया गया कि गोविंदपुर क्षेत्र की सभी अवैध माइंस की भराई करा दी जाएगी. बाहर से वहां पहुंचने वाले लोगों का पुलिस जांच करें. कोयला चोरी की प्राथमिकी पर तुरंत कार्रवाई हो. अवैध खनन रोकने के लिए 15 दिनों तक सघन अभियान चलाया जाए. यह भी निर्णय हुआ कि बीसीसीएल की जमीन पर बने आवासों को ध्वस्त कर दिया जाए. कंपनी की जमीन पर आवासीय मार्केट बनाए गए हैं. तो तुरंत बिजली पानी कनेक्शन काटकर अतिक्रमण मुक्त कराया जाए. स्थानीय पुलिस भी इसमें सहयोग करेगी.
चेक नाका निर्माण
महाप्रबंधक ने कहा कि अवैध माइनिंग के खिलाफ प्रबंधन और प्रशासन तत्पर है. जरूरी जगह पर चेक नाका बनाया जाएगा. सीआईएसएफ की गश्त भी बढ़ाई जाएगी और अतिक्रमण को लेकर अभियान भी चलाया जाएगा. लेकिन इस निर्णय पर कितना अमल होता है यह देखने वाली बात होगी. क्योंकि पुलिस पर आरोप है कि कोयला चोरी से संबंधित प्राथमिकी के बाद केवल खानापूरी होती है. वही सीआईएसएफ की गश्ती के बावजूद कोयला चोर डरते नहीं है. गश्ती दल पर ही हमला बोल देते हैं .बीसीसीएल के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते, उन पर मिलीभगत के भी आरोप लगते रहे हैं .कोयला चोरी सिर्फ अवैध मुहाने ही खोलकर नहीं हो रही है बल्कि आउटसोर्सिंग की आड़ में हाईवा के हाईवा कोयला भी गायब कर दिए जा रहे हैं.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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