धनबाद(DHANBAD) : देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया प्रबंधन ने मानकीकरण समिति की बैठक की तिथि तय कर दी है. इसके बाद तो कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी कंपनियों में केवल बोनस की ही चर्चा है. 29 सितंबर को नई दिल्ली में मानकीकरण समिति की बैठक होगी. वित्तीय वर्ष 23-24 में कोल इंडिया को मुनाफा हुआ है. इस वजह से इस बार कोयलाकर्मियों को उम्मीद है कि उनका बोनस 95 हजार, एक लाख या उससे अधिक तय हो सकता है. इसको लेकर सोशल मीडिया पर प्रबंधन के साथ-साथ मजदूर संगठनों पर भी दबाव बनाया जा रहा है.
मजदूर संगठनों के सामने भी होगी बड़ी चुनौती
मजदूर संगठनों के सामने अब यह बड़ी चुनौती है कि वह प्रबंधन से मोलभाव कर कितना अधिक बोनस तय करवा पाते है. मजदूर संगठनों को मानकीकरण समिति की बैठक के पहले अपना डिमांड भी मिलकर तय करना होगा. चार श्रमिक संगठन बीएमएस, एचएमएस, एटक और सीटू मानकीकरण की बैठक में शामिल होंगे. इंटक पिछले एक दशक से मानकीकरण की बैठक में शामिल नहीं हो पा रही है. तकनीकी कारणों से इंटक को बैठक से अलग कर दिया गया है. कोल इंडिया में फिलहाल 2 लाख से अधिक कर्मचारी है. हर साल कर्मचारी अवकाश ग्रहण कर रहे हैं, लेकिन नई नियुक्ति नहीं हो रही है.
एक आंकड़े के मुताबिक हर वर्ष 15 से 17,000 कोयला कर्मचारी अवकाश ग्रहण कर रहे है.
कोल इंडिया का मुनाफा बढ़ने से कर्मचारियों की भी उम्मीद बढ़ी
इधर, कोल इंडिया का मुनाफा भी बढ़ रहा है. ऐसे में कर्मचारियों को भरोसा है कि उन्हें अधिक बोनस मिलेगा. लेकिन इसके लिए चारों श्रमिक संगठनों को एक होना होगा. वैसे कोयला उद्योग में कोयला मजदूरों का संगठन अब धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है. पहले वाली बात नहीं रह गई है. देखना है 29 सितंबर की बैठक में क्या निर्णय होता है. यह बताने की जरूरत नहीं है कि देश में सबसे ज्यादा कोयलाकर्मी झारखंड में है. झारखंड में बीसीसीएल,सीसीएल सीएमपीडीआईएल के अलावा ईसीएल के तीन एरिया राजमहल, चितरा और मुगमा झारखंड में है. झारखंड में कोयलाकर्मियों की संख्या भी 70,000 के आसपास है. पिछले साल दुर्गा पूजा के मौके पर कोयलाकर्मियों को 85000 बोनस मिला था. अब तक कोयलाकर्मियों को मिले बोनस पर एक नजर -
2023 -85 ,000
2022 -76 ,500
2021- 72,500
2020- 68,500
2019- 67,700
2018 -60,700
2017- 57,000
2016 -54,00
2015- 48,500
2014 -40,000
2013 -31,500
2012 -26,000
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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