धनबाद(DHANBAD): देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया में क्या मेडिकल अनफिट के नाम पर आश्रित को नौकरी देने की व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है?यह सवाल इसलिए उठे है कि 2018 के बाद किसी भी कर्मी के आश्रित को इस व्यवस्था से नौकरी नहीं मिली है. यह सवाल कोयलांचल में अब बड़ा हो गया है. कोयला बेल्ट होने के कारण कार्यरत कोयलाकर्मी में इसकी सच्चाई जानने की कोशिश कर रहे है. लेकिन अधिकृत तौर पर तो कुछ नहीं बताया जा रहा है. आंकड़ों के अनुसार 2018 के बाद किसी के भी आश्रित को मेडिकल अनफिट के आधार पर नियोजन नहीं मिला है. नियम कहता है कि बीमार कोयलाकर्मी को फिट होने तक 50% सैलरी का भुगतान होता रहेगा. या फिर मेडिकल अनफिट होने पर उसके आश्रित को नौकरी दी जाएगी.
अप्रत्यक्ष रूप से संसद में भी उठा है मामला
यह मामला अप्रत्यक्ष रूप से संसद में भी उठा है. लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कोयला मंत्रालय ने कहा है कि 2018 से किसी भी कोयलाकर्मी को मेडिकल अनफिट नहीं किया गया है. मतलब है कि 6 साल में कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी इकाईयों में एक भी कर्मी मेडिकल अनफिट नहीं हुए है. इधर कोयला मंत्रालय के इस जवाब पर यूनियन नेताओं का कहना है कि कोल् इंडिया में 2018 से मेडिकल अनफिट के आधार पर आश्रित को नौकरी पर अघोषित रूप से पाबंदी लगा दी गई है. अब किसी कोयलाकर्मी को मेडिकली अनफिट किया ही नहीं जाता है. 2018 के पहले गंभीर रूप से बीमार कोयलाकर्मी खुद को मेडिकल अनफिट कराकर अपने आश्रित को नौकरी देते थे. काफी संख्या में ऐसे कोयलाकर्मी नौकरी कर भी रहे है.
2018 के बाद किसी के भी आश्रित को नहीं मिली है नौकरी
लेकिन 2018 के बाद घोषित रूप से तो नहीं, लेकिन अघोषित रूप से मेडिकल अनफिट के नाम पर नौकरी पर रोक लगा दी गई है. देखना होगा कि यूनियन नेता इस मुद्दे को किस ढंग से और किसी मंच पर उठाते है. बता दें कि कोल् इंडिया में प्राइवेट प्लेयर्स के तेजी से प्रवेश की वजह से कर्मचारियों की संख्या में भी लगातार गिरावट दर्ज की गई है. अब कोल इंडिया में नई नियुक्तियां (कुछ पदों को छोड़ दे तो) नहीं होती है. प्राइवेट प्लेयर्स के प्रवेश की वजह से कोयल का उत्पादन तो बढ़ा है, लेकिन कर्मचारियों की संख्या घटी है. लगभग सभी काम आउटसोर्स पर चल रहे है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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