धनबाद(DHANBAD) | भारत की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया की भूमिका अब बढ़ सकती है. कोयले का उत्पादन बढ़ा कर यह कंपनी न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती है बल्कि विदेश से भी भारत की मित्रता को प्रगाढ़ कर सकती है. कोयले का निर्यात बढ़ाकर यह सब किया जा सकता है. इस दिशा में काम भी हो रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024- 2025 के लिए 1,080 मिलियन टन कोयले के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. कोयला आयात कम करने और निर्यात बढ़ाने पर भी काम चल रहा है.
आईआईएम, अहमदाबाद की एक रिपोर्ट का है जिक्र
कोयला मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कोल इंडिया अगर चाहे तो पड़ोसी देशों को कोयले का निर्यात कर सकती है. आईआईएम, अहमदाबाद की एक रिपोर्ट में जिक्र है कि भारत के कई पड़ोसी देशों को कोयले की जरूरत है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत पड़ोसी देशों को 15 मिलियन टन तक कोयला निर्यात कर सकता है. जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. यह बताना यहां गलत नहीं होगा कि झारखंड स्थित बीसीसीएल और ईसीएल की कोलियरियों से बांग्लादेश को कई बार कोयला भेजा गया है.
इन देशों को आसानी से भेजा जा सकता है कोयला
रिपोर्ट के मुताबिक भारत नेपाल को 2 मिलियन टन, म्यांमार को 2 मिलियन टन , बांग्लादेश को 8 मिलियन टन समेत कुछ और पड़ोसी देशों को कोयले का निर्यात कर सकता है. इन पड़ोसी देशों को कोयले की जरूरत है. भारत प्रमुख कोयला उत्पादक देश है. घरेलू कोयले का उत्पादन बढ़ाकर अगर पड़ोसी देशों को कोयले का निर्यात किया जाये तो भारत की अर्थव्यवस्था में एक सकारात्मक परिवर्तन हो सकता है. रिपोर्ट में घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने, आयात कम करने का रोड मैप भी दिया गया है. यह भी बताया गया है कि कोयला निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक परिवर्तनकारी पहल चल रही है. उद्देश्य है कि घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाया जाए, ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया जाए और कोयला क्षेत्र को विकसित किया जाए. जानकारी निकलकर आ रही है कि कोयला मंत्रालय ने कोयला कंपनियों को इस दिशा में पहल करने का निर्देश दिया है.
कोल् इंडिया में तेजी से निजी कंपनियों का हो रहा प्रवेश
यह अलग बात है कि कोयला क्षेत्र में तेजी से निजी कंपनियों का प्रवेश हो रहा है. कोयले के आयात में कमी से विदेशी मुद्रा भंडार को संरक्षित करने में भी मदद मिल सकती है. अंतर्राष्ट्रीय कोयला बाजार में भारत को एक प्रमुख प्लेयर के रूप में स्थापित कर राजस्व और रोजगार के अवसर भी बढ़ाये जा सकते है. यह बात भी सही है कि कोल इंडिया में प्राइवेट फ्लेयरों की एंट्री तेजी से हो रही है. जिन कोयला खदानों को कंपनी नहीं चला पा रही है, उन्हें प्राइवेट प्लेयर को आवंटित किया जा रहा है. ऐसे में देश में कोल इंडिया के कोयल और प्राइवेट पार्टियों के उत्पादित कोयले में भी प्रतियोगिता हो सकती है. कोल इंडिया का एकाधिकार भी टूट सकता है. ऐसे में अगर भारत विदेश में कोयले के ग्राहक को बढ़ाएं तो अर्थव्यवस्था को ताकत मिल सकती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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