धनबाद(DHANBAD): देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया का फिलहाल उत्पादन पर जोर है. कोयले की आयत को घटाने के लिए लगातार कोयला कंपनियों पर दबाव है. यह दबाव सिर्फ सरकारी कंपनियों पर नहीं, बल्कि निजी क्षेत्र की कंपनियों पर भी है. लगातार बैठकों का दौर जारी है. नई-नई तकनीक विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है. अब मानव रहित मशीनों से कोयला उत्पादन करने पर जोर है. इसके लिए प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं और परीक्षण भी किये जा रहे है. छत्तीसगढ़ में धनबाद की रिसर्च संस्था सिम्फ़र ने एक नए ढंग का परीक्षण किया है.
बिना मैनपावर लगाए किया गया परीक्षण
इस में ब्लास्टिंग करने वाली मशीनों को लगाया गया था. लेकिन इसमें कोई मैन पावर नहीं था. मानव रहित मशीन ही ब्लास्टिंग से लेकर कोयला निकालने तक की काम को पूरा किया. ऐसा लगता है कि अब मानव रहित मशीने देश की कोयला खदानों में लगेगी. विशेष कर ब्लास्टिंग में ऐसी मशीनों का उपयोग किया जाएगा. मशीन ही बारुद के लिए जगह बनाएंगी और फिर ब्लास्ट कर वहां से ओवरबर्डन को हटाया जाएगा. इसको लेकर सिम्फ़र ने सफल परीक्षण कर लिया है. जानकारी के अनुसार यह परीक्षण छत्तीसगढ़ की कोल माइंस में किया गया है. भारत में ओपन कास्ट माइंस के लिए यह नई खनन तकनीक है.
डोजर पुश माइनिंग का प्रयोग अब तक ऑस्ट्रेलिया में
डोजर पुश माइनिंग का प्रयोग अब तक ऑस्ट्रेलिया में किया जाता रहा है. इसमें ड्रिलिंग ही नहीं, ब्लास्टिंग के बाद खनिजों को डोजर से हटाने के लिए भी मानव की जरूरत नहीं पड़ती है. प्रशिक्षण में मानव रहित ड्रिलिंग मशीनों से 108 ड्रिल होल किए गए थे. इनमें 60 टन बारूद भरा गया और फिर ब्लास्ट किया गया. इसके बाद मानव रहित डोजर मशीनों ने खनिज को आसानी से बाहर निकाल लिया गया. बताया जाता है कि इस नई तकनीक से बरसात के दिनों में भी कोयला उत्पादन की रफ्तार को बनाए रखा जा सकता है. अमूमन बरसात के दिनों में कोयला का उत्पादन गिर जाता है. लेकिन अगर अब इस तरह की तकनीक का उपयोग होता रहा, तो उत्पादन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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