धनबाद(DHANBAD): कोल इंडिया में मकानों की उपयोगिता साबित करने के लिए कुछ नए नियम बनाने की चर्चा है. लंबे समय से सरप्लस मकानों को रिटायर्ड कोयलाकर्मियों को लीज या किराए पर देने की मांग हो रही है. इस मांग के बाद कोल इंडिया प्रबंधन ने एक कमेटी भी बनाई है. सूत्रों का कहना है कि इसकी बैठक जून माह में हुई थी, लेकिन प्रबंधन की ओर से पेश किए गए आंकड़े पर यूनियन को आपत्ति थी. यूनियन की मांग थी कि अगली बैठक की तिथि तय की जाए और उसमें सही आंकड़ा दिया जाए. अब जानकारी सामने आ रही है कि रिटायर्ड कर्मचारियों को मकान आवंटित करने के लिए गठित कमेटी की दूसरी बैठक जुलाई माह में हो सकती है. कोल इंडिया व अनुषंगी कंपनियों के मकानों पर गैर कर्मचारियों का कब्जा है. यह बात आईने की तरह साफ है. कुछ पर तो रिटायर्ड कोयलाकर्मियों का भी कब्जा है. एक आंकड़े के मुताबिक सबसे ज्यादा मकान सीसीएल में हैं. बताया गया है कि 19000 से ज्यादा मकानों पर गैर कर्मचारियों का कब्जा है, जबकि 2600 से ज्यादा मकानों पर रिटायर्ड कोयलाकर्मियों का कब्जा है. अगर धनबाद में संचालित बीसीसीएल की बात करें तो यह संख्या 8000 को पार कर जाती है.
ईसीएल में 15 हजार से अधिक मकानों पर बाहरी लोगों का कब्जा
ईसीएल में 15 हजार से अधिक मकानों पर बाहरी लोगों का कब्जा है. दरअसल, कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद कर्मचारियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए मकानों का निर्माण किया गया. लेकिन कर्मचारियों की संख्या घटती गई, नई नियुक्तियां नहीं हुईं. नतीजतन, निर्मित मकानों की उपयोगिता कम होने लगी. मकानों पर बाहरी लोगों का कब्जा रहा, जबकि कई मकानों पर सेवानिवृत्त कर्मचारी काबिज रहे. यह भी सच है कि कई मकान खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. उनकी मरम्मत नहीं की जाती. धनबाद के भूली में एक बड़ी कॉलोनी बनाई गई. इस कॉलोनी की हालत भी आज काफी खराब है. यहां परंपरा है कि मकानों पर कब्जा करने वाले लोग दूसरों से पैसे लेकर दूसरों को सौंप देते हैं. ऐसे मकानों की संख्या का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन संख्या अच्छी है. कोल इंडिया की अन्य अनुषंगी कंपनियों की भी यही स्थिति है. अब चर्चा जोरों पर है कि ऐसे मकानों को कोयला कर्मियों को लीज या किराए पर दे दिया जाए. ऐसा करने से कंपनी को भी लाभ मिल सकता है और अवैध कब्जेदार से मकान लेकर उसकी उपयोगिता साबित हो सकती है.
प्रबंधन ला रहा है सुविधा जनित नई योजनाएं
वैसे, कोल इंडिया कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए सुविधा जनित नई योजनाएं ला रहा है. कोल इंडिया कर्मचारियों के आश्रितों के नियोजन की नई नीति के बाद अधिकारियों के आश्रितों के नियोजन के नियम में भी संशोधन किया गया है. संशोधित नियम में कोल अधिकारियों के आश्रितों को अनुकंपा नियोजन में बड़ी राहत मिली है. कोल इंडिया ने इस संबंध में बड़ा फैसला लिया है. प्रबंधन ने अधिकारियों के आश्रितों के अनुकंपा नियोजन संबंधी नीति में संशोधन करते हुए गैर अधिकारियों की तरह नाबालिग बच्चे को भी लाइव रोस्टर में शामिल करने और परिवार में एक आश्रित के पहले से कार्यरत होने पर भी दूसरे आश्रित को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने पर सहमति जताई है. पहले अधिकारी की मृत्यु पर नाबालिग बच्चे का नाम लाइव रोस्टर में शामिल करने का प्रावधान नहीं था. अगर परिवार का कोई सदस्य कहीं कार्यरत होता था, तो दूसरे आश्रित को नौकरी नहीं मिलती थी.
रिपोर्ट : धनबाद ब्यूरो
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