रांची(RANCHI): झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तीर्थ यात्रा कर रहे है. जेल से निकलते ही शिव भगवान के सामने नतमस्तक दिखे. अब मंदिर–मंदिर पहुंच कर विधिवत पूजा अर्चना कर रहे है. पहले रांची के बंगलामुखी मंदिर पहुंच कर मां की आराधना करते दिखे. बाद में दिल्ली से सीधा काशी विश्वनाथ की नगरी वाराणसी पहुंच गए. वाराणसी में काशी विश्वनाथ के दर्शन किया. इस दौरान हेमंत के साथ उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी मौजूद रहीं. अब इस तीर्थ यात्रा के क्या मायने है. यह तो हेमंत ही बेहतर जाने. लेकिन राजनीतिक गलियारों कई तरह की चर्चा है.
31 जनवरी से पहले इस तरह से हेमंत सोरेन मंदिर में घूमते हुए नहीं दिखे है. शायद ही कोई मौका हो जब हेमंत आमंत्रण मिलने पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए है. लेकिन जब जेल से बाहर आए तो लगातार मंदिर की दौड़ लगा रहे है. इसके पीछे कई कारण हो सकते है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है किअब हेमंत हिन्दुत्व की ओर बढ़ रहे है. जिससे वोट बैंक में फायदा हो. इसके अलावा कई लोग यह भी कहते दिख रहे है कि हेमंत जेल से मुराद मिन्नत मांगा होगा. बेल बिलने के बाद इसे पूरा करने में लगे है.
रांची का बंगलमुखी मंदिर अपने आप में प्रमुख माना जाता है. इस मंदिर में देवी मां की आराधाना होती है. ऐसा कहा जाता है कि इस मां के दरबार से कोई भी खाली नहीं गया है. एक बड़ी परेशानी से हेमंत को राहत मिली है तो वह भी मां के दरबार पहुंचे हो. इसके अलावा काशी विश्वनाथ का दरबार हिन्दू विश्व प्रसिद्ध है. यहां भगवान शिव की आराधना होती है. छोटा बड़ा हर कोई इस मंदिर में माथा टेकने जरूर पहुंचता है. बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वानाथ मंदिर में है.अब हेमंत सोरेन भी बाबा के दरबार पहुंच कर अपनी हाजरी लगाई है. इसके पीछे भी कारण यही हो सकता है कि जेल से हेमंत ने मुराद मांगी होगी.
राजनीतिक जानकार बताते है कि हेमंत जिस आरोप में जेल गए थे. उसमें जल्दी राहत मिलना मुश्किल होता है. कई धारा हेमंत सोरेन पर लगी थी. हेमंत सोरेन भी इसे समझ रहे थे. शायद एक यह कारण भी हो सकता है कि हेमंत जेल में रहने के दौरान सोच रहे होंगे की कब बाहर निकल पाएंगे. क्योंकि जिस तरह का आरोप उनपर प्रवर्तन निदेशालय ने लगाया था इसमें बेल आसानी से नहीं मिलती है. संभवत जेल में हेमंत ने भगवान शिव से आराधना की होगी. अब अच्छी खबर मिली तो सभी मंदिर का भ्रमण कर रहे है.
अगर इससे हट कर देखें तो झारखंड में विधानसभा का चुनाव भी है. ऐसे में शुरू से ही इंडी गठबंधन के नेताओं पर एनडीए के नेता हिन्दू विरोधी होने का आरोप लगाते है. अब चुनाव नजदीक है हेमंत की पकड़ आदिवासी वोटरों में है, लेकिन जेनरल वोटर आज भी भाजपा के पाले में जाता है. लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही देखने को मिला. आदिवासी सीट पर तो हेमंत की पार्टी ने बेहतर किया. लेकिन बाकी अन्य सीट पर कुछ खास नहीं कर सकी. अब विधानसभा चुनाव में हेमंत हिन्दुत्व की राजनीति को आगे बढ़ा सकते है.
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