धनबाद(DHANBAD): धरती के "भगवान" को अब किसी भगवान से कोई डर नहीं रह गया है. कम से कम झारखंड में तो यही दिख रहा है. लोगों की जान बचाने वाले डॉक्टर भी अगर नर्सिंग होम की आड़ में फर्जीवाड़ा करने लगे तो इसकी जमीनी जांच की मांग उठनी स्वभाविक है. आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना मरीजों के इलाज के लिए शुरू की गई है. यह योजना उन लोगों के लिए विशेष है, जिनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं है. ऐसे लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे थे. इसी से बचने के लिए आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना शुरू की गई थी. लेकिन इस योजना की आड़ में भ्रष्टाचारी इस पर हावी हो गए हैं. नर्सिंग होम चलाने वाले जिस तरह से दलालों के भरोसे ठगी का काम कर रहे हैं ,यह केवल चिंता की ही बात नहीं है, राज्य सरकार अथवा केंद्र सरकार के इकबाल पर भी बड़ा सवाल है. एक विशेष जांच समिति बनाकर कम से कम धनबाद सहित झारखंड के सभी आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना चलाने वाले संस्थानों की जांच की मांग अब तेज हो गई है. अगर ऐसा हुआ तो बहुतों की गर्दन फसेगी, बहुत दलाल सलाखों के पीछे जाएंगे. अस्पताल चलाने वाले भी फसेंगे.
पूरा मामला
सरकार चाहे जो भी कदम उठाए लेकिन इस योजना में फर्जीवाड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा है. धनबाद में ऐसे मामले पकड़ में आए हैं, जो आश्चर्य में भी डाल रहे हैं और अस्पताल चलाने वालों पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. धनबाद के राजगंज में संचालित आरोग्य और बरवाअड्डा के सनराइज हॉस्पिटल का मामला अभी कोयलांचल में सुर्ख़ियों में है. प्रारंभिक सूचना के मुताबिक इन दोनों ने धनबाद के SNMMCH के सर्जरी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ जितेंद्र कुमार रंजन के नाम और हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल किया है. डॉक्टर की शिकायत पर मामले की जांच शुरू की गई है. धनबाद के सिविल सर्जन डॉ अलोक विश्वकर्मा के निर्देश पर आयुष्मान के नोडल ऑफिसर डॉक्टर विकास राणा मामले की जांच कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार डॉ रंजन ने झारखंड आरोग्य समिति को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि सनराइज हॉस्पिटल में उनके द्वारा केवल 15 या 20 सर्जरी की गई थी लेकिन सनराइज प्रबंधन ने उनके नाम और हस्ताक्षर का गलत इस्तेमाल कर अधिक संख्या में सर्जरी की रिपोर्ट उनके नाम से कर दी है. उनका दावा है कि इतना अधिक सर्जरी उन्होंने नहीं की है .दूसरे के खिलाफ भी कुछ ऐसा ही आरोप लगा है. डॉ रंजन ने आरोप लगाया है कि उनके द्वारा आरोग्य में सर्जरी नहीं की गई है बावजूद हस्ताक्षर का इस्तेमाल कर सर्जरी दिखाया गया है. झारखंड आरोग्य समिति ने इस मामले की जांच का आदेश धनबाद के सिविल सर्जन को दिया है. सिविल सर्जन के निर्देश पर डॉक्टर विकास राणा मामले की जांच कर रहे हैं.
आयुष्मान योजना के नाम पर धड़ल्ले से हो रही धोखा घड़ी
इ धर, अस्पताल चलाने वालों का कहना है कि कुछ गलतफहमी हो गई है, उसे दूर कर लिया गया है. इस तरह की शिकायत धनबाद में कोई पहली नहीं है. इसके पहले भी इस तरह की शिकायतें मिलती रही हैं .आयुष्मान योजना के नाम पर धड़ल्ले से धोखा घड़ी हो रही है. पैसे का बंदरबांट किया जा रहा है और शायद यही वजह है कि छोटे-छोटे भवनों में नर्सिंग होम खोल लिए गए हैं और सरकार की योजनाओं का लाभ गरीब लोगों को जहां मिलना चाहिए था ,वह लाभ अस्पताल चलाने वाले उठा रहे हैं. अगर विशेष जांच समिति से धनबाद सहित झारखंड के सभी नर्सिंग होम की इमानदारी पूर्वक जांच करा दी जाए तो यह कोयलांचल के बालू घोटाले से कम बड़ा घोटाला सामने नहीं आयेगा.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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