धनबाद(DHANBAD): किसी थाना क्षेत्र में जब कोई अपराध की घटनाएं होती हैं ,तो थानेदार परेशान हो जाते हैं. जिले में अपराध की कोई बड़ी घटना होती है तो जिले के पुलिसिया हकीम की परेशानी बढ़ जाती है. अधिसंख्य थानों में मंदिर इसलिए होते हैं कि भगवान कम से कम थाना क्षेत्र की रक्षा करें ,लेकिन भगवान करे भी तो क्या करें. अगर अपराधियों पर नकेल डालने के हथियार ही कमजोर हो जाए तो आखिर अपराधियों पर शिकंजा कैसे कसेगा. धनबाद शहर की बात की जाए तो 28 जगह पर लगभग सवा सौ सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. लेकिन सब के सब बंद पड़े हैं. कंट्रोल रूम में लगा मॉनिटर भी डब्बा बन गया है. कैमरे के फुटेज की निगरानी के लिए प्रतिनियुक्ति पुलिस कर्मियों को भी हटा लिया गया है .यह हाल तब के हैं जब शहर और जिला अपराधियों की करतूत से परेशान है.
शहर के चौक चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे काम नहीं करते
कारोबारी के ठिकानों पर लगातार फायरिंग की जा रही है. बच्चों का अगवा कर लेने की धमकी दी जा रही है. लगातार रंगदारी की मांग की जा रही है. अपराधी बेखौफ आते हैं, फायरिंग करते हैं और फिर निडर होकर निकल जाते हैं. पुलिस पानी पीटती रह जाती है. अगर जरूरत होती है तो अगल-बगल के निजी सीसीटीवी कैमरे के फुटेज पर भरोसा करती है और अपराधियों की टोह लेती है, लेकिन शहर के चौक चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे काम नहीं करते हैं. शहर में यह कैमरे नगर निगम ने लगाए थे. मेंटेनेंस का जिम्मा जमशेदपुर की एक कंपनी को मिली थी. साल भर पहले ही कंपनी का करार खत्म हो गया है. और तब से कैमरो की मेंटेनेंस ठप है. लगातार अपराध की घटनाओं के बावजूद पुलिस की ओर से कैमरे को ठीक करने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया गया. नतीजा है कि अपराधियों की पौ बारह है.
अपराध की घटनाओं से कराह रहा धनबाद
सीसीटीवी कैमरे की जब बात होती है तो निगम भी अपना पल्ला झाड़ लेता है तो पुलिस भी यही कहती है कि कैमरे को ठीक रखने की जिम्मेदारी निगम की है. उसमें हम क्या कर सकते हैं. सवाल उठता है कि अपराध की घटनाओं से धनबाद कराह रहा है, घटनाओं का खुलासा नहीं हो रहा है. सिर्फ रंगदारी के लिए फायरिंग ही नहीं ,चोरी और मारपीट की घटनाएं लगातार हो रही हैं .शिकायत मिलने पर पुलिस मुकदमा दर्ज कर लेती है लेकिन करवाई उससे आगे नहीं बढ़ पाती. यह है धनबाद शहर का हाल ,जहां दावा किया जाता है कि पैसे की कोई कमी नहीं है. डीएमएफटी फंड में काफी पैसे पड़े हुए हैं, बावजूद सीसीटीवी कैमरा का यह हाल है. ऐसे में अपराध पर नियंत्रण कैसे होगा, यह एक बड़ा सवाल है. कहने के लिए तो सारी व्यवस्थाएं हाईटेक हो रही हैं, लेकिन क्या जमीन पर ऐसी हकीकत है. खोजने पर उत्तर मिलेगा नहीं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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