धनबाद(DHANBAD): तो क्या झारखंड मंत्रिमंडल के गठन में पेंच फंस गया है? या फिर माले के प्रस्ताव का इंतजार किया जा रहा है? क्या चार- एक और पांच- एक का फार्मूला कारगर साबित नहीं हो रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 28 नवंबर को शपथ ले ली है. लेकिन उसके बाद मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है. माले के पोलित ब्यूरो की बैठक 2 दिसंबर को प्रस्तावित है. उस बैठक में तय होगा कि माले मंत्रिमंडल में शामिल होती है अथवा नहीं. माले के दो विधायक धनबाद के सिंदरी और निरसा से जीत कर गए है. दोनों विधायकों पर कार्यकर्ताओं का दबाव भी है कि वह मंत्रिमंडल में शामिल हो. लेकिन निर्णय तो पार्टी को लेना होगा.
माले के दोनों विधायक कड़े संघर्ष में चुनाव जीते है
दोनों विधायक काफी जद्दोजहद के बाद कड़े संघर्ष में चुनाव जीते है. 2024 का विधानसभा चुनाव इंडिया गठबंधन में चार दलों ने मिलकर लड़ा था. जिन में झामुमो , कांग्रेस, राजद और माले शामिल थे. एकजुट होकर गठबंधन के सभी दलों ने चुनाव लड़ा और 56 सीट जीत ली. 2019 में महागठबंधन ने कुल 48 सीट जीती थी. उस समय मंत्रिमंडल का गठन चार विधायकों पर एक मंत्री पद के फार्मूले के तहत हुआ था. जिसमें मुख्यमंत्री को लेकर झामुमो के सात ,चार कांग्रेस के चार मंत्री हुए थे. राजद को फार्मूले के हिसाब से पर्याप्त विधायक नहीं होने के बावजूद एक मंत्री पद दिया गया था. इस बार चुनाव जीतने वाले विधायकों की संख्या बढ़कर 56 हो गई है.
झामुमो जरूर चाहेगा कि 5 -1 फार्मूले पर काम हो
ऐसे में झामुमो चाहेगा कि 4 -1 की जगह 5 -1 फार्मूले पर काम हो. अगर 5-1 का फार्मूला लागू होता है तो झामुमो के पास मुख्यमंत्री को मिलाकर 8 मंत्री पद आएंगे. जबकि 16 विधायक वाली कांग्रेस के पास तीन और राजद के पास एक मंत्री पद आएगा. फिर माले का प्रस्ताव आया तो माले को भी एक पद देना पड़ सकता है. फिर तो संकट हो सकता है. पिछली बार महागठबंधन में विधायकों की संख्या 48 थी. जो इस बार बढ़कर 56 हो गई है. प्रचंड बहुमत के साथ महागठबंधन को जनता ने सरकार बनाने का अवसर दिया है. यह मौका महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती भी है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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