टीएनपी डेस्क (Tnp desk):-एक छात्रा के लिए उसकी पढ़ाई तपस्या होती है, उसकी साधना होती , क्योंकि यहीं से उनकी जिंदगी की गाड़ी सुचारू रुप से चल सकती है. लेकिन, छात्रों की पढ़ाई में बेशक कोचिंग या शिक्षक मदद करते हैं. लेकिन, अंतता मेहनत तो छात्रों को ही करनी पड़ती है. रात-रात जगकर की गई पढ़ाई के चलते उसका रिजल्ट भी खुशगवार आता है. बच्चे देश की बड़े-बड़े और कठीन से कठीन इम्तहान में अपना परचम लहराते हैं. मेहनत के असली हकदार तो छात्र होते हैं. लेकिन उसकी सफलता की फसल काटने की होड़ कोचिंग संस्थानों में लगी रहती है.
जेईई मेन में झारखंड के छात्रों न लहराया परचम
अभी इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई मेन 2024 के पहले सत्र के नतीजे मंगलवार को आए. देश में 23 छात्रों ने 100 पर्सेंटाइल हासिल किया. हरियाणा के आरव भट्ट टॉपर रहे, जबकि झारखंड की बात करें तो बोकारो के राजवीर सिंह ने 99.98 पर्सेटाइल के साथ झारखंड टॉपर बनें. वहीं रांची की तमन्ना कुमारी 99.95 पर्सेटाइल और धनबाद के श्रेयस कुमार 99.95 पर्सेटाइल के साथ दूसरे स्थान पर हैं. इस परीक्षा में देश भर में 11 लाख 70 हजार 036 उम्मीदवार शामिल हुए. सोचिए कितने छात्रों ने इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में हाथ अजमाया . इसमे उन छात्रों ने सफलता हासिल की, जिसने मेहनत की और रात-दिन पढ़ाई कर अपना पसीना बहाया. रांची के डीपीएस पब्लिक स्कूल समेत बोकारो, गिरिडीह, धनबाद समेत प्रदेश के अन्य स्कूलों में भी छात्रों ने शानदार सफलता अर्जित की.
कोचिंग संस्थानों में मचती है होड़
लेकिन, बात सिर्फ इंजीनियरिंग के बच्चों की नहीं हो रही है, बल्कि कईयों बार देखा गया है कि इन बच्चों की सफलता का श्रेय लेने के लिए कोचिंग संस्थानों के बीच होड़ सी मच जाती है. कभी एक सफल छात्रा का फोटो तो हर संस्थान में चिपका हुआ दिख जाता है. सभी अपने-अपने दांवे टॉपर छात्र पर करते हैं. लेकिन, सच ये मालूम नहीं हो पाता कि आखिर टॉप छात्र किस संस्थान में पढ़ते थे.
ये सच है कि एक छात्र को कोचिंग संस्थानों से मदद मिलती है, अच्छे मेंटर या शिक्षक उनकों परीक्षा की बारीकियां और कैसे तैयारी की जाती है. इसके बारे में बताते हैं. इससे इंकार नहीं किया जा सकता . लेकिन, आज इतने कोचिंग संस्थान खुल चुके हैं, जो पढ़ाई के साथ-साथ अपनी दुकान चलाते हैं. कोचिंग संस्थानों के भ्रामक दावों और विज्ञापनों पर केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण काफी सख्त हैं. इन दावों के खिलाफ या कोई गलती पर सीसीपीए नोटिस भी समय-समय पर भेजते रहती है. इतना ही नहीं जुर्माना भी लगती है.
कोचिंग का बड़ा कारोबार
कोचिंग संस्थान एक कारोबार या फिर दुकान की तरह काम करते हैं. इससे ऐसे भी समझा जा सकता है.सीसीपीए के मुताबिक , कोचिंग उद्योग का मौजूदा बाजार राजस्व करीब 58,088 करोड़ रुपये है. जिसमे सिविल सर्विस के कोचिंग का कारोबार 3000 हजार करोड़ रुपए हैं. खासकर इंजीनियरिंग के लिए आकड़े बताते है कि कोचिंग के लिए तकरीबन 2 लाख छात्र सालाना राजस्थान के कोटा जाते हैं. वहीं, सिविल सर्वि के लिए दिल्ली यूपीएससी-सीएसई कोचिंग का गढ़ मानी जाती है.
देशभर में कोचिंग सेंटर द्वारा सरकारी नौकरी की परीक्षा में सफल रहने वाले अभ्यर्थियों की तस्वीर दिखाने पर सीसीपीए ने पिछले साल के आखिर में सख्ती बरती थी. सीसीपीए ने यूपीएससी परीक्षा में सफल रहने वाले अभ्यर्थियों की तस्वीर के मसले पर रोक लगाने को कहा था. जिसमे कहा गया था कि इस तरह के विज्ञापन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यपार प्रक्रिया की धाराओं के तहत आता है. दरअसल, कोचिंग सेंटर का खेल ये रहता है कि, टॉपर्स की तस्वीर विज्ञापन में लगाते हैं और इसके बदले पैसा भी देते हैं.
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