धनबाद(DHANBAD): भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक धनबाद से हटकर फिर देवघर चली गई है. पहले देवघर में ही होनी थी लेकिन उसे धनबाद में करने की तैयारी की गई. लेकिन जगह आदि चिन्हित होने के बाद फिर इसे देवघर करने का निर्णय लिया गया है. यह बैठक 23 -24 जनवरी को प्रस्तावित है. मतलब संथाल परगना को देवघर से भाजपा साधने की कोशिश करेगी. संथाल परगना में कुल 18 विधानसभा सीट है. 18 में सिर्फ चार ही भाजपा के पास हैं, जिन सीटों पर भाजपा जीती है, उनमें राजमहल, गोड्डा, देवघर और सारठ शामिल है. इतना ही नहीं, संथाल परगना के 2 लोकसभा क्षेत्र गोड्डा और दुमका, जहां से भाजपा को विजय श्री मिली, वहां विधानसभा चुनाव में झामुमो उससे आगे रहा.
गहन मंथन के बाद लिया गया होगा निर्णय
इन्हीं सब बातों के मंथन के बाद निर्णय लिया गया होगा कि कार्यसमिति की बैठक देवघर में ही की जाए. पिछले सप्ताह धनबाद भाजपा को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक की जिम्मेवारी दी गई थी. 3 दिन पहले धनबाद महानगर भाजपा बैठक कर स्थल आदि चिन्हित कर प्रदेश को इसकी जानकारी दे दी थी. लेकिन अब यह कार्यसमिति की बैठक देवघर में होगी, इसकी सूचना धनबाद महानगर भाजपा को दे दी गई है. धनबाद महानगर के जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने भी इसकी पुष्टि की है. झारखंड में भाजपा के लिए संथाल परगना सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती है. प्रदेश कार्यसमिति की बैठक तो शुरुआत है. असल में कोशिश होगी 2024 के लिए माहौल बनाने की.
देवघर से होगी माहौल बनाने की कोशिश
लोकसभा चुनाव में भाजपा जो लोकसभा सीट हारी थी, उनमें एक संथाल परगना की राजमहल सीट भी शामिल है. विधानसभा चुनाव में संथाल परगना में भाजपा का प्रदर्शन उत्साहवर्धक नहीं रहा था. हालांकि उस समय के मुख्यमंत्री रघुवर दास संथाल परगना पर पूरी ताकत झोंक दी थी. सरकार की लगभग सभी योजनाएं संथाल परगना में क्रियान्वित की गई थी. भाजपा नेताओं के दौरे भी खूब हुए, रघुवर दास अपने चुनाव क्षेत्र से अधिक ध्यान संथाल परगना पर दिया, लेकिन संथाल परगना में भी भाजपा को सफलता नहीं मिली. रघुवर दास खुद की सीट भी हार गए. वैसे भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह झारखंड में दौरा कर चुनाव प्रचार की शुरुआत कर गए है और हो सकता है कि उन्होंने भी सुझाव दिया है कि संथाल परगना को साधना भाजपा के लिए अभी सबसे जरूरी काम है. क्योंकि संथाल परगना में झारखंड मुक्ति मोर्चा को कमजोर किए बिना भाजपा अगर फिर से सत्ता में काबिज होना चाहती है तो यह कठिन हो सकता है. देखना है संथाल परगना को साधने के लिए भाजपा कौन-कौन सी तरकीब अपनाती है और झामुमो कैसे इसका काट करता है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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