धनबाद(DHANBAD): भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आक्रामक हैं तो महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के विधायक डॉक्टर इरफान अंसारी ने मोर्चा खोलते हुए बाबूलाल मरांडी को लगातार घेर रहे हैं. इस बीच जिस मकसद से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया, उस मिशन में बाबूलाल मरांडी जी जान से लग गए हैं. संथाल सहित अन्य आदिवासी बहुल सीटों पर उनका ध्यान केंद्रित है. संथाल का भोगनाडीह भाजपा और महागठबंधन के लिए केंद्र बना हुआ है. भाजपा यह समझ रही है कि अगर उसे झारखंड में फिर से सत्ता में आना है तो संथाल को टारगेट करना होगा .संथाल के फिलहाल चार सीटों से काम नहीं चलेगा.
संथाल परगना झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़
संथाल के कुल 18 सीटों में फिलहाल भाजपा के पास चार ही हैं. 14 विधानसभा सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के पास हैं. वैसे संथाल परगना झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा को संथाल से ऊर्जा और ताकत मिलती है. 2019 में अगर संथाल सहित आदिवासी बहुल कुछ सीटें और भाजपा के खाते में आ जाती तो हो सकता था कि महागठबंधन की सरकार के बजाय भाजपा फिर सत्ता संभाल पाती. लेकिन ऐसा हुआ नहीं .
वोटरों को रिझाने के लिए बाबूलाल मरांडी संथाली में दे रहे भाषण
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 2019 में बरहेट और दुमका दो जगह से चुनाव लड़ा था. बाद में उन्होंने दुमका सीट से इस्तीफा दे दिया और वहां हुए मध्यावधि चुनाव में उनके भाई बसंत सोरेन चुनाव जीते. बरहेट से अभी मुख्यमंत्री विधायक हैं. इसको लेकर भी बरहेट पर भाजपा की नजर टिकी हुई है. बरहेट में मुख्यमंत्री को घेरने की भाजपा ने योजना बनाई है और उस पर काम कर रही है. वैसे साहिबगंज और पाकुड़ जिले के 6 विधानसभा सीटों में से केवल एक राजमहल ही भाजपा के पास है. वैसे तो बाबूलाल मरांडी को झारखंड के सभी विधानसभा इलाकों में दौरा करना है और इसके लिए योजना भी बना ली गई है. बाबूलाल मरांडी सक्रिय भी हो गए हैं. संथाल परगना में वोटरों को रिझाने के लिए बाबूलाल मरांडी अपना भाषण संथाली में देने का प्रयास कर रहे हैं.
संथाल परगना में भाजपा के सभी विधायक सक्रिय
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को घेरने की हर योजना पर भाजपा काम कर रही है. संथाल परगना के भाजपा के सभी विधायकों को सक्रिय कर दिया गया है.गोड्डा सांसद भी ताबड़तोड़ ट्वीट कर रहे है. भाजपा यह अच्छी तरह से जानती है कि अगर उसे सत्ता में आना है तो संथाल में सीट बढ़ानी होगी. वही झारखंड मुक्ति मोर्चा भी समझ रहा है कि संथाल परगना पर उसकी पकड़ थोड़ी भी ढीली पड़ी तो सत्ता हाथ से जा सकती है. झारखंड में लगभग 28 विधानसभा सीट ऐसी हैं ,जहां आदिवासियों की बहुलता है और इसी की राजनीति करने के लिए संभवत बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. देखना है की आगे आगे होता है क्या .क्योंकि 2024 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव निश्चित रूप से कुछ विशेष होगा.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी आक्रामक मूड में
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी आक्रामक मूड में है. वह भाजपा के किसी भी हमले को कुंद करने की योजना पर काम कर रहे हैं. अभी झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद गठबंधन की सरकार चल रही है. झारखंड के 14 लोकसभा सीटों में 12 भाजपा के कब्जे में है. जबकि एक कांग्रेस और एक झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास है. इस गणित को बदलने की दोनों ओर से पूरी कोशिश की जा रही है.जुवानी जंग तेज हो गई है.अभी चुनाव में देर है,चुनाव आते आते क्या परिदृश्य उभरेगा,यह देखना बहुत ही दिलचस्प होगा.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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