रांची(RANCHI): - शनिवार की सुबह खबर आई कि पूर्वी दिल्ली से सांसद गौतम गंभीर चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है. ताजा मामला है जयंत सिन्हा का.हजारीबाग से भाजपा के सांसद जयंत सिन्हा ने सोशल मीडिया पर अपनी इच्छा को जाहिर करते हुए चुनावी राजनीति से हटाने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने इस संबंध में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर सूचना दी है.
जानिए संन्यास लेने के पीछे के कारण
2019 में क्रिकेट के मशहूर खिलाड़ी गौतम गंभीर ने भाजपा का दामन थामा था. उन्हें पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ाया गया लोकसभा चुनाव वह जीत गए. क्रिकेट के खिलाड़ी गौतम गंभीर भले ही तात्कालिक परिस्थितियों या इच्छा के अनुसार राजनीति में आ गए लेकिन राजनीति के नहीं हो सके.
भाजपा के जिस प्रकार से कामकाज होते हैं उन पर उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा.अलग-अलग तरह के विवाद होते रहे. संगठन से भी उनका तालमेल नहीं बैठ पा रहे थे यानी राजनीति की पिच पर वे बहुत अच्छा नहीं कर पा रहे थे. विधायक ओपी शर्मा से भी उनका सार्वजनिक रूप से विवाद हो गया था. इसलिए आज उन्होंने ऐसा ऐलान कर दिया. गौतम गंभीर ने चुनावी राजनीति से दूर होने की अपनी मंशा जाहिर करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर अपनी इसकी दी. 29 फरवरी को जिस प्रकार से केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक दिल्ली में हुई,उसमें यह लगभग तय हो गया था कि गौतम गंभीर का टिकट कटना है. वहां से दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और महामंत्री हर्ष मल्होत्रा के नाम की चर्चा है. गौतम गंभीर ने क्रिकेट के प्रति अपने समर्पण को कारण बताते हुए चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया है. लेकिन वजह स्पष्ट है कि उन्हें इस बार पार्टी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाने नहीं जा रही थी.
हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से दो बार के सांसद जयंत सिन्हा को भी संभवत एहसास हो गया है कि उनका टिकट कट सकता है. रायशुमारी में हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से मनीष जायसवाल और जेपी भाई पटेल के नाम की चर्चा है. 2014 में केंद्र में मोदी की सरकार बनी थी .जयंत सिन्हा को भारत सरकार में वित्त राज्य मंत्री बनाया गया था. लेकिन 2019 में जब मोदी सरकार दोबारा बनी तो जयंत सिन्हा का पता मंत्री पद के लिए कट गया. इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं.
भाजपा में अब एक नई प्रवृत्ति देखने को मिल रही
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा में एक नई प्रवृत्ति या संस्कृति देखे जा रही है कि जो चुनावी राजनीति के लिए फिट नहीं बैठ रहे हैं यानी जिन्हें पार्टी टिकट नहीं दे रही है, उनसे यह कहा जाता है कि वह चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा अपने स्तर से कर दें. शनिवार को इस संबंध में दो ज्वलंत उदाहरण मिले.
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