धनबाद(DHANBAD): पहले बिहार और अब झारखंड का बीआईटी सिंदरी अपने जीवन काल के 75 साल पूरे कर लिए है. इस मौके को यादगार बनाने के लिए प्लेटिनम जुबली समारोह का आयोजन किया जा रहा है. यह झारखण्ड के लिए यह गौरव का क्षण कहा जा सकता है. लेकिन इस कॉलेज के संस्थापक श्रीकृष्ण सिंह को पूरी तरह से भुला दिया गया है. यह कहना है भारत सेवक समाज, सिंदरी इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार का. उन्होंने एक विज्ञप्ति जारी कर सरकार, बीआईटी सिंदरी मैनेजमेंट और आम लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है. बिहार केसरी श्री बाबू ने इस कॉलेज की स्थापना कराई थी.
संस्थान कर लिए है 75 साल पूरे,हो रहा है समारोह
उन्होंने अपनी विज्ञप्ति में कहा है कि बीआईटी , सिंदरी जब 75 वर्ष पूरे करने पर प्लेटिनम जुबली समारोह मनाने जा रहा है, तो क्यों नहीं संस्थान परिसर में श्री बाबू की कम से कम एक आदमकद प्रतिमा स्थापित कराइ जाए. उनका स्मारक बना दिया जाए. उनका यह भी दावा है कि संस्थान परिसर में जमीन की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देश के विभिन्न हिस्सों में आईआईटी की स्थापना कराई थी. ताकि देश में तकनीकी शिक्षा का विकास हो सके. उस प्रयास में बिहार वंचित रह गया था. तब डॉक्टर श्री कृष्णा सिंह की पहल पर आईआईटी के समकक्ष बीआईटी सिंदरी की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ था.
श्रीबाबू के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.
उन्होंने कहा है कि इस गौरवशाली संस्थान की स्थापना निर्माण और विकास में श्रीबाबू के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा है कि संस्थान की स्थापना में श्रीकृष्णा सिंह को भूलना मतलब अपनी जड़ से उखड़ना है. श्रीबाबू बिहार केसरी यूं ही नहीं बन गए थे. उनका योगदान बिहार और अब उससे अलग हुए झारखंड के मूल आधार के कण -कण में है. उन्होंने बीआईटी के पूर्ववर्ती छात्रों से भी अपील की है कि इस पर ध्यान दें और पूर्वजों के धरोहर को याद रखने के लिए उनका स्मारक बनाया जाए.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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