पलामू(PALAMU): जैसे जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है वैसे ही कर्मचारी जुगाड़ का ईजाद कर कंप्युटर को ही धोखा दे रहे है. आम तौर पर माना जाता है कि बायोमैट्रिक मशीन में बिना फिंगर प्रिन्ट के कोई काम नहीं हो सकता है. लेकिन पलामू में इसका भी जुगाड़ निकाल लिया. कर्मचारियों ने अपने फिंगर प्रिन्ट का डूप्लीकेट बना लिया. जिसके बाद बिना कार्यालय पहुंचे ही अपनी मौजूदगी मशीन में दर्ज करवाते थे. अब इस मामले का खुलासा हुआ.
दरअसल हुसैनाबाद प्रखंड संसाधन केंद्र हुसैनाबाद (उत्तर) में कार्यरत जय माता दी कंपनी और परियोजना से नियुक्त कर्मियों द्वारा फर्जी बायोमैट्रिक उपस्थिति बनाने का मामला उजागर हुआ है. यह घोटाला प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी (बीईईओ) के निरीक्षण के बाद सामने आया है. जांच के दौरान पाया गया कि कर्मचारी फर्जी अंगूठे (बायोमैट्रिक थंब प्रिंट) बनवाकर रोजाना अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे थे. ये फर्जी अंगूठे माचिस के डब्बे में छिपाकर रखे गए थे. इन्हें बायोमैट्रिक मशीन पर उपयोग किया जा रहा था.
इस पूरे फर्जीवाड़े में कई कर्मियों की संलिप्तता पाई गई है. इनमें डेटा ऑपरेटर, एमडीएम ऑपरेटर, रिसोर्स शिक्षक, लेखापाल, लिपिक आदि शामिल हैं. गत 12 सितंबर 2024 को प्रखंड कार्यालय में कागज खोजने के दौरान यह खुलासा हुआ. रात्रि प्रहरी रामदेव ठाकुर ने बक्से में रखे फर्जी अंगूठों( कृत्रिम) और उनके साथ लगे संकेतों को देखा. उन्होंने इस संदर्भ में जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी. इसके बाद इन कृत्रिम अंगूठों को कब्जे में लिया गया.
जांच में जिन कर्मियों की संलिप्तता पाई गई है, उनमें विनोद कुमार (रिसोर्स शिक्षक), अभय कुमार सिंह (एमडीएम ऑपरेटर), शनी कुमार दास (डेटा ऑपरेटर), रंजना भारती (बीपीएम), दीपक कुमार मिश्रा (लिपिक), जयराम मेहता (बीपीएम), रंजन कुमार सिंह (लेखापाल) एवं श्रीकांत कुमार (एमआईएस) का नाम शामिल है.
रात्रि प्रहरी रामदेव ठाकुर ने बताया कि इन कर्मियों ने घटना उजागर होने के बाद उन पर दबाव बनाया और धमकी दी कि यदि यह बात अधिकारियों तक पहुंची, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. तत्कालीन प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी राम नरेश राम ने उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
उन्होंने बताया कि यह कृत्य न केवल सरकारी नियमों का उल्लंघन है, बल्कि विभाग के साथ धोखाधड़ी भी है.माचिस के डिब्बे में रखे गए कृत्रिम अंगूठों और उनके उपयोग से संबंधित प्रमाण और बायोमैट्रिक उपस्थिति बनाने के लिए उपयोग किए गए उपकरणों की सूची बतौर साक्ष्य के रूप आवेदन के साथ संलग्न किया गया है.यह मामला शिक्षा विभाग में हो रही लापरवाहियों और भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है. विभागीय अधिकारियों ने इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है. अब देखना यह है कि दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है और विभाग इस प्रकार के फर्जीवाड़ों को रोकने के लिए क्या कदम उठाता है.
गौरतलब बात तो यह है कि बीईईओ ने उक्त मामले को 12 सितंबर को ही अपने पत्र के माध्यम से शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया था.किंतु उसे ठंढे बस्ते में डाल दिया गया.पुनः हुसैनाबाद के बीईईओ ने 30 दिसंबर को शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर उक्त गंभीर मामले में कानूनी कार्रवाई हेतु करने का आग्रह किया तो उल्टे बीईईओ के खिलाफ ही कार्रवाई हो गयी.
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