धनबाद(DHANBAD): समय और राजनीति की चाल भी अजीब होती है. कब किसका सितारा बुलंद हो जाये और कब गर्दिस में पहुंच जाए ,कहा नहीं जा सकता. समय की चाल ऐसी घुमी है कि अपने भतीजे चिराग पासवान को राजनीति में ठिकाने लगाने की कोशिश करने वाले चाचा ही किनारे हो गए. चाचा पशुपति पारस को अब अपनी राह बदलनी पड़ी है. बड़ा बेटा कहना पड़ रहा है. दरअसल , रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था. सरकार चाहे किसी की भी रहे ,सत्ता में रहना वह अच्छी तरह से जानते थे. उनके निधन के बाद यह तमगा किसी को नहीं मिला. लेकिन यह अजब संजोग है कि रामविलास पासवान के बेटे और लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को भी पिता के मंत्रालय खाद्य प्रसंस्करण की जिम्मेवारी मिली है. उन्होंने कार्यभार संभाल लिया है. इसके पहले उनके चाचा पशुपति पारस के पास भी यही विभाग था.
पिता ,बेटा और चाचा के पास रहा एक ही विभाग
तो चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान के पास भी यही विभाग था. रामविलास पासवान के निधन के बाद पशुपति पारस और चिराग पासवान में विवाद हुआ. पार्टी टूटी, पार्टी तोड़कर पशुपति पारस केंद्र में मंत्री बन गए. लेकिन 2024 के चुनाव में समय ने पलटा खाया और पशुपति पारस हाशिये पर चले गए. चिराग पासवान की जय जय हुई. समय का बदलाव देखिए- मंत्री पद संभालने के बाद चिराग पासवान के चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने उन्हें बड़ा बेटा का कर बधाई दी है. लेकिन इस बधाई के पीछे भी कुछ वजह दिखने लगी. क्योंकि बधाई के बाद ही पशुपति पारस ने चिराग पासवान से एक मांग रख दी. उन्होंने कहा कि उनके मंत्री काल में बिहार के हाजीपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फूड टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट के क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना की गई थी. उस ओर चिराग पासवान को ध्यान देना चाहिए. नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार में पशुपति कुमार पारस खाद्य प्रसंस्करण विभाग के मंत्री थे.
मंत्री चिराग पासवान को बधाई के साथ टास्क भी
उनके प्रयास से हाजीपुर के रामाशीष चौक पर इस संस्थान की स्थापना हुई थी. बिहार का यह एकमात्र संस्थान है. भारत सरकार का एक यह ऐसा रिसर्च एंड ट्रेनिंग संस्थान है, जो खाद्य प्रसंस्करण और उद्यमिता के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए जाना जाता है. इसके क्षेत्रीय केंद्र उन क्षेत्रों में खोले जाते हैं, जो खाद्य प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त माने जाते है. हाजीपुर को भी ऐसा ही क्षेत्र माना गया है. हाजीपुर में आम और लीची के साथ केले की बड़ी मात्रा में खेती होती है. राजनीति के जानकारों को कहना है कि पशुपति पारस ने चिराग पासवान को एक बड़ा टास्क दे दिया है. दरअसल, हाजीपुर सीट पर चुनाव लड़ने के लिए चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच खूब विवाद हुआ था. इस झगड़े में चिराग पासवान को जीत मिली और पशुपति पारस के हाथ से मंत्री पद तक चला गया. इतना ही नहीं, लोकसभा चुनाव में पशुपति कुमार पारस को एनडीए गठबंधन में एक भी सीट नहीं मिली. उन्होंने एनडीए से दूरी बनाने का इशारा भी दिया, लेकिन बात नहीं बनी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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