बड़ा सवाल: कोल इंडिया की ई ऑक्शन सिस्टम पर भी क्यों भारी पड़ती रही है धनबाद में कोयला चोरी -तस्करी


धनबाद(DHANBAD) : पिछले कई दिनों से धनबाद में सिर्फ एक ही चर्चा है. और वह चर्चा है प्रवर्तन निदेशालय(ई डी ) की छापेमारी की. आखिर चर्चा हो भी क्यों नहीं, कोयला उद्योग के इतिहास में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर छापेमारी हुई है. ईडी ने यह कार्रवाई की है. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकृत बयान में भी कहा गया है कि बंगाल और झारखंड के बॉर्डर के इलाकों पर संगठित गिरोह का "नेक्सस" चल रहा है. यह बात तो सच है कि कोयल के कारोबार से देखते-देखते कई लोग फर्श से अर्श पर पहुंच गए. पॉलीटिशियन बन गए, अकूत संपत्ति के मालिक बन गए. लेकिन इस क्रम में कोयलांचल की जमीन खोखली हो गई.
कोयला चोरी के संगठित नेटवर्क के चलते रहे है सामानांतर इंतजाम
सूत्र बताते हैं कि कोयला चोरी का संगठित नेटवर्क इतना बड़ा है कि बीसीसीएल का ई ऑक्शन भी प्रभावित हो जाता है . सूत्रों के अनुसार पहले की तरह ही ई -एक्शन में कोयले के लिए अब ऊंची बोली नहीं लगती है. इस प्रक्रिया में अब छोटे उद्योगपति, हार्ड कोक भट्ठे के मालिक और कोयला ट्रेडर्स भाग लेते है. दरअसल ,होता यह है कि कोयला की खपत करने वालों को ई ऑक्शन से कम दर पर चोरी का कोयला उपलब्ध हो जाता है. फिर वह महंगा कोयला खरीदने के लिए ई -ऑक्शन में हिस्सा नहीं लेते है.
ई -ऑक्शन से कम दर पर चोरी का कोकिंग कोयला मिल जाता है
पहले नोटिफायड दर पर 70 से 80% तक प्रीमियम पर बोली लगती थी. लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है. बताया जाता है कि ई -ऑक्शन से कम दर पर कोकिंग कोयला चोर और तस्कर उपलब्ध करा देते है. बिना किसी कागज के ठिकाने तक पहुंचा भी देते है. बता दें कि जिन-जिन जगहों पर कोकिंग को उपलब्ध है, वहां कोयला तस्करी अधिक होती है. हिट वैल्यू अधिक होने की वजह से इसकी डिमांड भी अधिक है. ईडी की छापेमारी में डायरी, रजिस्टर भी मिलने की बात कही जा रही है. उस डायरी में कोयले के अवैध धंधे से लाभार्थियों के नाम भी दर्ज बताए जाते है. वैसे कोयला चोर और तस्कर फिलहाल भूमिगत हो गए है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
4+