धनबाद(DHANBAD) | जिस रफ्तार से कोल इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी बिक रही है, उसको देखते हुए कोयलांचल में एक बड़ा सवाल चर्चा के केंद्र में है. सवाल यह है कि क्या यही हालात रहे तो अगला कोयला वेतन समझौता होने की स्थिति रहेगी क्या. हा लिया शेयर बेचने की घोषणा के बाद कोल इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी 63. 13 % रह जाएगी. फिलहाल सरकार कोल इंडिया में अपनी 0.15% हिस्सेदारी बेचकर 20000 करोड़ रुपए का जुगाड़ करेगी. यह हिस्सेदारी जाने के बाद कोल इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 63.13% रह जाएगी. कोल इंडिया 92 . 44 लाख शेयर अपने कर्मचारियों को बेचेगी .शेयर का भाव 226.10 रुपए प्रति शेयर होगा. कर्मचारियों के लिए यह खुली बिक्री 21 जून से 23 जून तक खुली रहेगी.
सरकार लगातार कोल इंडिया में हिस्सेदारी घटा रही है
सरकार लगातार कोल इंडिया में अपनी हिस्सेदारी घटा रही है .इसके पहले भी शेयर बेचने की घोषणा हुई थी और शेयर बिके भी. अन्य पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग की तरह कोल इंडिया भी अभी निशाने पर है. और सरकार धीरे-धीरे ही सही इसके भी निजीकरण की तरफ बढ़ गई है. फिलहाल सरकार की हिस्सेदारी 63.13% की है, यह हिस्सेदारी जिस दिन घटकर 51% से कम हो जाएगी, उस दिन सरकार का मालिकाना हक इस कंपनी से खत्म हो जाएगा और कंपनी प्राइवेट हो जाएगी. 11 वे कोयला वेतन समझौता की मंजूरी तो सरकार ने दे दी है लेकिन अब ऐसा नहीं लगता है कि अगला कोयला वेतन समझौता हो भी पाएगा. क्योंकि जिस रफ्तार में शेयर बिक रहे हैं, उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि अगले 5 साल तक शेयर घटकर 51% से कम हो सकते है. 11 वा कोयला वेतन समझौता 5 साल के लिए किया गया है.
कोयला वेतन समझौता की शुरुआत पहली जनवरी 1974 से हुई थी
कोयला वेतन समझौता की शुरुआत पहली जनवरी 1974 से हुई थी. उसके बाद से लगातार समझौता एक निर्धारित अवधि पर होता आ रहा है लेकिन आगे कोयला वेतन समझौता होगा, इसमें अब संदेश दिखने लगा है. इधर, कोयला कर्मियों के 11 वे वेतन समझौता को कोयला मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है. सूत्रों के अनुसार कोयला मंत्री ने सोमवार को हस्ताक्षर कर दिया. हस्ताक्षर करने के पहले इसे पीएमओ की अनुमति ली गई. कोयला मंत्री के हस्ताक्षर होने के बाद एक-दो दिन में मंत्रालय से कोल इंडिया के पास इंप्लीमेंट करने का निर्देश आने की संभावना है. उसके बाद कोल इंडिया से बीसीसीएल समेत सभी अनुषंगी कंपनियों को इंप्लीमेंट करने का निर्देश जारी होगा. 11वे वेतन समझौता का लाभ लगभग 2.80 लाख कर्मचारियों को मिलेगा. वेतन समझौता से कोल इंडिया पर 8152 करोड़ रुपए और बीसीसीएल पर लगभग 14 00 करोड़ का सालाना अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
कैसे हुआ कोल इण्डिया लिमिटेड का गठन
सरकार की राष्ट्रीय ऊर्जा नीति के तहत भारत की कोयला खानों को 1970 के दशक में दो चरणों में पूर्ण रूप से राष्ट्रीय नियंत्रण में लिया गया. कोकिंग कोयला खान (आपातकाल प्रावधान) अधिनियम 1971 को सरकार द्वारा 16 अक्तूबर 1971 को लागू किया गया. जिसके तहत भारत सरकार ने सभी 226 कोकिंग कोयला खानों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया और उसे 1 मई, 1972 को राष्ट्रीयकृत कर दिया. इस प्रकार भारत कोकिंग कोल लिमिटेड बनी थी. इसके अलावा 31 जनवरी 1973 को कोयला खान (प्रबंधन का हस्तांतरण) अध्यादेश – 1973 लागू कर केन्द्रीय सरकार ने सभी 711 नन-कोकिंग कोयला खानों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया. राष्ट्रीयकरण के अगले चरण में 1 मई 1973 से इन खानों को राष्ट्रीयकृत किया गया और इन नन- कोकिंग खानों का प्रबंधन करने के लिए एक सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला खान प्राधिकरण लिमिटेड (CMAL) नामक कंपनी का गठन किया गया था. दोनों कंपनियों का प्रबंधन करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड के रूप में एक औपचारिक नियंत्रक कंपनी का गठन नवम्बर 1975 में किया गया था.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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