बड़ी खबर : सूर्या हांसदा एनकाउंटर की जांच में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ( NSTC ) टीम ने जताई नाराजगी, पुलिस कार्यशैली पर उठे सवाल


गोड्डा : आदिवासी नेता सूर्या नारायण हांसदा के एनकाउंटर की जांच करने गोड्डा पहुंची राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NSTC) की आठ सदस्यीय टीम ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं. टीम का नेतृत्व आयोग की सदस्य आशा लकड़ा कर रही थीं, जिनके साथ निरुपम चकमा और लीगल एडवाइजर राहुल यादव भी मौजूद थे.
जांच टीम ने गोड्डा पहुंचने के बाद सबसे पहले सूर्या हांसदा के घर और कथित एनकाउंटर स्थल का दौरा किया. इस दौरान जिले का कोई भी वरीय अधिकारी वहां मौजूद नहीं था, जिससे टीम प्रमुख आशा लकड़ा ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि केंद्र से जारी निर्देशों में स्पष्ट कहा गया था कि जिले के वरिष्ठ अधिकारी जांच में सहयोग हेतु उपस्थित रहेंगे, लेकिन मौके पर केवल जिला परिवहन पदाधिकारी कंचन भदौरिया और मुख्यालय डीएसपी जेपीएन चौधरी ही मौजूद थे.
आशा लकड़ा ने सवाल उठाया कि “जब प्रमुख लोग ही मौजूद नहीं रहेंगे, तो सटीक जानकारी कैसे प्राप्त होगी?”
जांच टीम ने बाद में सर्किट हाउस में जिला उपायुक्त अंजलि यादव और पुलिस अधीक्षक मुकेश कुमार के साथ बैठक कर कई बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा। बैठक के बाद प्रेस वार्ता में आशा लकड़ा ने पुलिस से यह जानना चाहा:
सूर्या हांसदा की गिरफ्तारी देवघर से हुई, तो किनकी गवाही के आधार पर यह कार्रवाई की गई?
क्या गिरफ्तारी के बाद सूर्या का मेडिकल परीक्षण करवाया गया?
सूर्या की निशानदेही पर रात के अंधेरे में हथियार की बरामदगी के लिए क्यों निकली पुलिस?
अगर पुलिस के अनुसार दोनों ओर से गोलीबारी हुई, तो घटनास्थल पर गोलियों के निशान क्यों नहीं दिखे?
टीम सदस्य निरुपम चकमा ने कहा कि “रात के वक्त, सीमित बल के साथ जंगल में जाकर पुलिस ने खुद को खतरे में क्यों डाला? क्या यह प्रक्रियागत त्रुटि नहीं है?”
आशा लकड़ा ने स्पष्ट कहा कि कई बिंदुओं पर प्रशासन को तय समय के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है। यदि उत्तर संतोषजनक नहीं हुए, तो आयोग को कानूनी कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ेगा।गौरतलब है कि 10 अगस्त को आदिवासी नेता सूर्या नारायण हांसदा की कथित मुठभेड़ में मौत हो गई थी. पुलिस का दावा है कि सूर्या पर कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे और मुठभेड़ में वह मारा गया, जबकि परिजनों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह एक फर्जी एनकाउंटर है.
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