रांची(RANCHI) - राजधानी रांची के प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर के संचालन के लिए एक कमेटी होती है. यह कमेटी दशकों से चली आ रही है. इसका बीच-बीच में पुनर्गठन भी होता रहता है. वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार में कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक न्यास बोर्ड की ओर से पहाड़ी मंदिर के लिए नई कमेटी का गठन किया गया था. इसको लेकर कुछ लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
हाई कोर्ट में क्यों गया पहाड़ी मंदिर विकास समिति का मामला
पहाड़ी मंदिर विकास समिति ने ही यह याचिका दायर की थी जिस पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि समिति को किसी प्रकार का नोटिस नहीं दिया गया. वहीं जिला न्यायाधीश से किसी प्रकार की सहमति नहीं ली गई. यहां तक की समिति भंग करने से पहले बोर्ड से भी कोई आदेश पारित नहीं हुआ.इसलिए धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष का आदेश गलत है. याचिका करता की ओर से यह भी कहा गया कि इसमें सत्ता पक्ष के लोगों को पदाधिकारी और सदस्य बनाया गया है.
हाई कोर्ट ने क्या सुनाया इस मामले में फैसला
झारखंड हाई कोर्ट ने पहाड़ी मंदिर विकास समिति की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि पूर्व की तरह ही रांची के उपायुक्त के नेतृत्व वाली कमेटी ही पहाड़ी मंदिर का संचालन और कामकाज देखेगी. परिणाम स्वरूप सरकार और धार्मिक न्यास बोर्ड के द्वारा पहाड़ी मंदिर की नई कमेटी भंग हो गई है. इस नई कमेटी में रिटायर्ड आईएएस एन एन पांडे अध्यक्ष थे. कांग्रेस के महासचिव और मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा नई कमेटी में सचिव थे इसके अलावा कांग्रेस के कुमार राजा और झामुमो के नेता सदस्य थे. यानी पहाड़ी मंदिर विकास समिति का कामकाज पूर्व में बनी कमेटी ही करेगी. पूर्व में कमेटी के अध्यक्ष जिला उपायुक्त सचिव सदर अनुमंडल पदाधिकारी होते थे.
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