गिरिडीह(GIRIDIH): राजनीति बयानबाजी के बीच तीन साल बाद एक बार फिर गिरिडीह के बंद पड़े कोयला उद्योग के शुरू होने और हजारों बेकार पड़े हाथ को रोजगार मिलने की उम्मीद बढ़ा है. क्योंकि ईसी यानि पर्यावरण क्लीरेन्स गिरिडीह के बंद पड़े कबरीबाद कोयला खदान को मिलने का रास्ता साफ हो चुका है. तो इसके मिलने के बाद सीटीओ कंसर्ट टू ऑपरेट और कंसर्ट टू स्ट्लेबलिश भी किसी भी वक्त मिल सकता है. इसकी पुष्टि गिरिडीह के महाप्रबंधक मनोज कुमार अग्रवाल ने भी करते हुए कहा कि संभवत अगले दो माह बाद जनवरी में किसी भी वक्त पहले चरण में गिरिडीह के कबरीबाद कोयला खदान को हर हाल में शुरू कर दिया जाएगा. जबकि गिरिडीह के दूसरे कोयला खदान ओपनकास्ट को लेकर भी इन्ही दस्तावेजों की जरूरत है. और सारे दस्तावेज तेजी से जुटाए जा रहे हैं.
तीन सालों में उठाना पड़ा बहुत नुकसान
महाप्रबंधक ने इस दौरान यह भी कहा कि पिछले तीन साल में गिरिडीह कोलियरी को करोड़ो का नुकसान उठाना पड़ा है. लेकिन दोनो खदान शुरू होने के बाद कोयला उत्पादन का टारगेट तीन लाख टन रखा गया है. क्योंकि वित्तीय साल 2022-23 अगले साल मार्च में खत्म हो जाना है. ऐसे में उत्पादन का टारगेट कम ही रखा गया है. महाप्रबंधक ने कहा कि उत्पादन आउटसोर्सिंग के माध्यम से ही किया जाना है और इसके लिए अगले कुछ दिनों में टेंडर निकालने की स्वीकृति देकर किसी अच्छे आउटसोर्सिंग एजेंसी को टेंडर दिया जा सकता है.
कोयला चोरी को लेकर महाप्रबंधक चिंतित
हालांकि महाप्रबंधक मनोज अग्रवाल ने संकेत में इस बात को लेकर भी चिंता जताया कि दोनो कोयला खदान चालू होने के बाद कहीं एक बार फिर कोयला चोरी तेजी से शुरू ना हो जाए, क्योंकि इसका सीधा नुकसान सीसीएल को ही उठाना पड़ता है. वैसे महाप्रबंधक की ये चिंता गलत नही है. क्योंकि हर रोज अब भी सीसीएल के बनियाडीह इलाके के दोनो खदान से सैकड़ों टन कोयला चोरी खूब हो रहा है. और इसे रोक पाने में पुलिस नाकाम ही रही है. जबकि दोनो खदान करीब तीन साल से बंद पड़े है. इसके बाद भी चोरी हर रोज हो रही है. मतलब की पुलिस के सारे दावे सिर्फ पुलिस के बीच ही पीट थपथपाने तक सीमित है. ऐसे में महाप्रबंधक को चिंता होना जायज है कि जब दोनो खदान जनवरी और मार्च तक शुरू होंगे और हर रोज हजारों टन का उत्पादन होगा. तो राजनीति दल के सरंक्षण में पल रहे कोयला चोर किस हद तक कोयले की चोरी कर लेंगे.
खदान शुरू करने में राजनीतिक दलों की कोई भूमिका नहीं
बहरहाल, अगले दो माह में उम्मीद जगी है कि दोनो खदान शुरू हो जाने हैं. तो उम्मीद यह भी है कि हर राजनीति दल उसका श्रेय लेने के लाइन में भी लग जाए. लेकिन सीसीएल सूत्रों की माने तो दोनो ही खदान को ईसी के साथ सीटीओ और सीटीएस दिलाने में किसी राजनीति दल की कोई भूमिका नहीं रही. जबकि इन्हे दस्तावेजों को दिलाने में जेएमएम, माले और वक्त-वक्त पर कांग्रेस नेताओं ने भी खूब बयानबाजी की थी. और लगातार तीन सालो तक आश्वासन की घुट्टी पिलाते रहे कि जल्द दोनो खदानों को सारे कागजात उपलब्ध होंगे, और दोनो खदान शुरू होंगे. लेकिन हकीकत यह है कि महाप्रबंधक समेत कई और उच्च अधिकारी हालात देखते हुए प्रयास में जुटे और इसके बाद बीते दो नवंबर को सिया यानी केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत एजेंसी स्टेट एनवायरमेंट असेसमेट ऑथोरिटी की बैठक हुई. जिसमे सीसीएल और वन और पर्यावरण विभाग गिरिडीह से ईसी निर्गत करने को लेकर खास चर्चा हुआ. और अधिकारियो द्वारा कहा गया कि ईसी पर्यावरण क्लेरेंस से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराए जाए. इसके बाद दिसंबर के अंतिम माह में पहले चरण में कबरीबाद को ईसी निर्गत कर दिया जाएगा. जबकि जनवरी से फरवरी माह में ओपनकास्ट को ईसी निर्गत कर दिया जाएगा. और इसी ईसी के आधार पर पहले चरण में कबरीबाद को सीटीओ और सीटीएस निर्गत किया जाएगा, तो इसके बाद ओपनकास्ट खदान को भी दिया जाना है.
रिपोर्ट: दिनेश कुमार, गिरिडीह
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