धनबाद(DHANBAD): 2023 में कोयला मजदूरों को 85000 बोनस की घोषणा की गई है. 21 अक्टूबर के पहले यह पैसा कोयलाकर्मियों के खाते में पहुंच जाएगा. लेकिन एक वह भी समय था, जब कोयला मजदूरों को₹2 बख्शीश मिलते थे. यही बख्शीश आगे चलकर बोनस का रूप ले लिया और अब यह राशि 85000 तक पहुंच गई है. पिछले साल बोनस 76500 मिला था. कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के पहले कोयला मजदूरों को दुर्गा पूजा की बख्शीश दी जाती थी. इसके पीछे भी एक मनसा थी. सच यह था कि दुर्गा पूजा में मजदूर बख्शीश के लालच में छुट्टी पर अपने देश नहीं जाते थे. कोलियारियों से उत्पादन चलता रहता था. राष्ट्रीयकरण के बाद यह बख्शीश बोनस के रूप में बदल गया.
बिहार ,यूपी से मजदूर लाकर कटवाया जाता था कोयला
दरअसल राष्ट्रीयकरण के पहले कोयला खदान में काम करने को कोई तैयार नहीं होता था. बिहार, उत्तर प्रदेश से मजदूर मंगाए जाते थे. वहीं मजदूर कोयला काटते थे. उस समय कोयला काटना दुष्कर कार्य था और यह चुनौतियों से भरा हुआ था. लेकिन बाहर के मजदूर आकर यह काम करते थे. मैन्युअल खनन के कारण हादसे भी अधिक होते थे. लोगों की जान पर भी खतरा थे. वही लोग कोयला खदान के भीतर कोयला काटने जाते थे, जिन्हें पेट पालने की कोई दूसरी व्यवस्था नहीं होती थी. जिस समय यह सब होता था, उस समय कोयला खदानों के मालिक गुजराती हुआ करते थे. बिहार, यूपी से मजदूरों को लाया जाता था. इसके सबूत आज भी कोलियरी क्षेत्र में धौडे के रूप में देखे जा सकते है. उस समय स्थाई प्रकृति की नौकरी भी नहीं थी.
फाबड़ा और टोकरी से कोयले की कटाई और ढुलाई होती थी
फाबड़ा और टोकरी से कोयले की कटाई और ढुलाई होती थी. इन्हीं मजदूरों के भरोसे धनबाद को बिहार में शामिल करने में मदद मिली थी. लोग कहते हैं कि वह समय 1953 का था. बिहार के मुख्यमंत्री श्रीकृष्णा सिंह थे. तो बंगाल के मुख्यमंत्री विधान चंद्र राय थे. बिहार के मुख्यमंत्री चाहते थे कि कोलियरी क्षेत्र का बड़ा हिस्सा धनबाद में शामिल हो जाए. इसको लेकर विवाद छिड़ गया था. फिर राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन हुआ. राज्य पुनर्गठन आयोग के सदस्य जब धनबाद जांच को आए तो बिहार के लिए यह साबित करना था कि यह हिंदी भाषी क्षेत्र है. उस समय यहां की कोलियरियों में काम करने वाले लोगों ने जगह-जगह प्रदर्शन किया. बिहारी स्टाइल में माथे पर पगड़ी और हाथ में लठ लिए लोग प्रदर्शन करते रहे. आयोग के लोगों को मनाना पड़ा कि हिंदी भाषा क्षेत्र है और धनबाद बिहार में शामिल हो गया. यह अलग बात है कि बिहार से कटकर धनबाद अब झारखंड में आ गया है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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