धनबाद(DHANBAD) : बाघमारा कांड के बाद कोयलांचल में "मुखौटा" और रंगदारों के भरोसे धंधा चलाने वाली आउटसोर्स कंपनियों की गर्दन भी फंस सकती है. आउटसोर्सिंग कंपनियों में लाइजनिंग ऑफिसर रखने का क्या मापदंड है? इस पर से भी पर्दा हट सकता है कि आउटसोर्सिंग किस कंपनी पर किस रंगदार का बरदहस्त है? किसी राजनीतिक पार्टी की छत्रछाया है? आउटसोर्सिंग कंपनियों से बीसीसीएल के अधिकारियों को क्या फायदा हो रहा है? इन सबसे पर्दा हटाने का समय आ गया है. सूत्र बताते हैं कि हिल टॉप राइजिंग आउटसोर्सिंग की करतूत को तो पुलिस खंगाल ही रही है. इसके पहले भी रंगदारी की हुई घटनाओं की भी जांच अब पुलिस करेगी.
मास्टरमाइंड सहित रंगदारों की भी होगी पहचान
पुरानी घटनाएं क्यों हुई, इसके पीछे मास्टरमाइंड कौन था, बीसीसीएल अधिकारियों की क्या भूमिका थी, इन सब की जांच होगी. धनबाद में आउटसोर्सिंग और लोडिंग प्वाइंटों पर वर्चस्व को लेकर झड़प की घटनाएं लगातार होती है. अभी हाल ही में झरिया, लोयाबाद मुगमा ,बाघमारा सहित अन्य इलाकों में ऐसी घटनाएं हुई है. वर्चस्व और रंगदारी के लिए अलग-अलग सफेदपोश मजदूरों की आड़ में माहौल बिगाड़ते है. वर्चस्व और रंगदारी के लिए ही लगातार आउटसोर्सिंग कंपनियों, कोयला खदानों और लोडिंग पॉइंट पर गोली और बम चलते है. ऐसे मामले में एफआईआर तो दर्ज होती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती.
सभी थानेदारो से पहले की घटनाओं की मांगी गई है रिपोर्ट
सूत्र बताते हैं कि एसएसपी ने सभी थानेदारों से पूर्व में हुई ऐसी घटनाओं पर रिपोर्ट तलब की है. थानेदारों को विस्तृत जानकारी देने की बात कही गई है. बता दें कि जिस समय धनबाद में माफिया राज कायम था, उस समय कोलियारियों पर कब्जा के लिए कत्ल होते थे. माफिया गैंग अलग-अलग गुटों में बंटा हुआ था. एक माफिया दूसरे को अपने इलाके में प्रवेश रोकने के लिए सब कुछ करता था. यह सब तो कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद होता था. उस समय धनबाद कोयलांचल में पांच देवों की चलती थी. उन देवों में सूर्य देव, सत्यदेव, नौरंगदेव, पंचदेव,सकल देव के नाम गिनाये जाते है. फिलहाल कोई भी देव अब इस दुनिया में नहीं है. माफिया के "यूथ विंग" है जरूर, लेकिन अब हर इलाके में छोटे-छोटे माफिया पैदा हो गए है. कोयला का उत्पादन भी अब अंडरग्राउंड कोलियरियों के बजाय आउटसोर्स के जरिए पोखरिया खदानों से हो रहा है. आउटसोर्स कंपनियों पर कब्जा, इलाके में अपना वर्चस्व के लिए मार-काट होते रहते है.
बाघमारा कांड भी वर्चस्व की लड़ाई की परिणति है
बाघमारा कांड भी इसी की परिणिति है. लेकिन बाघमारा कांड के बाद पुलिस जिस ढंग से ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है. पुराने मामले को भी खोजने लगी है. ऐसे में आउटसोर्स कंपनियों के संचालकों भी अगर कार्रवाई की जद जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. बीसीसीएल के उत्पादन का लगभग 90% हिस्सेदारी आउटसोर्सिंग कंपनियों की है. आउटसोर्सिंग कंपनियां पोखरिया खदानों से उत्पादन करती है. इसके इसके लिए बीसीसीएल कार्य आवंटन करती है. निगरानी का जिम्मा भी बीसीसीएल के पास होता है. यह अलग बात है कि आउटसोर्सिंग कंपनियों के भरोसे बीसीसीएल का टारगेट तो पूरा हो जा रहा है लेकिन कोयला क्षेत्र का भविष्य क्या होगा, यह अपने आप में एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
4+