धनबाद(DHANBAD) : झारखंड के पहले नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह का मंगलवार को बनारस के घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया. झारखंड बनने के बाद बाबूलाल मरांडी की सरकार में बच्चा बाबू पहले नगर विकास मंत्री थे. किरानी से नगर विकास मंत्री बनने तक का सफर उनका काफी संघर्षपूर्ण रहा. यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि बच्चा बाबू राजद की टिकट पर बोकारो से भी विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन बोकारो से वह हार गए थे. यह अलग बात है कि 2000 में झरिया विधानसभा क्षेत्र से समता पार्टी के टिकट पर वह विधायक बने और उसके बाद झारखंड अलग राज्य हो गया. फिर वह नगर विकास मंत्री बने. बच्चा बाबू भारत कोकिंग कोल् लिमिटेड की शिमलाबहाल कोलियरी में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे. यह नौकरी उन्होंने कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के समय ज्वाइन की थी.
बीसीसीएल के नियमानुसार त्यागपत्र देना पड़ा था
लेकिन विधायक का चुनाव लड़ने के लिए बीसीसीएल के नियमानुसार उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा था. उन्होंने बीसीसीएल की सेवा से वीआरएस ले ली थी. कम से कम उन्होंने चार बार विधानसभा का चुनाव लड़ा, जिसमें एक बार झरिया से समता पार्टी की टिकट पर उन्हें जीत मिली थी. 1991 में बड़े भाई सूर्यदेव सिंह के निधन के बाद श्रमिक संघ से लेकर परिवार की बागडोर बच्चा सिंह के हाथ में आ गई. उस समय वह जनता मजदूर संघ के महामंत्री बने थे. उसके बाद परिवार में विवाद हुआ और जनता मजदूर संघ भी टूट गया. जनता मजदूर संघ (कुंती गुट ) बन गया तो जनता मजदूर संघ(बच्चा ) गुट भी काम करने लगा. जनता मजदूर संघ की स्थापना सूर्य देव सिंह ने की थी. हालांकि जनता मजदूर संघ की स्थापना भी सूर्य देव सिंह ने इंटक से अलग होकर की थी और जब तक जीवित रहे जनता मजदूर संघ कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा, पुराने लोग बताते हैं कि जनता मजदूर संघ और परिवार में 2005 में विवाद सामने आया. 2005 में जनता मजदूर संघ से वह हटा दिए गए, फिर जनता मजदूर संघ में समझौता के तहत अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली.
2006 में जनता मजदूर संघ में पहली टूट हुई थी
2006 में फिर जनता मजदूर संघ से हटाए गए. इसके बाद उन्होंने अलग यूनियन जनता मजदूर संघ (बच्चा) गुट की घोषणा कर दी और आजीवन महामंत्री बने रहे. हालांकि जब नगर विकास मंत्री थे तो उन्होंने झरिया के विकास पर काफी ध्यान दिया था. उनके कार्यों की आज भी लोग सराहना करते है. बच्चा बाबू 1944 में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के गोन्हिया छपरा गांव में स्वर्गीय चंडी प्रसाद सिंह के तृतीय पुत्र के रूप में जन्म लिया था. सबसे पहले बड़े भाई सूर्य देव सिंह झरिया आए थे. उसके बाद बच्चा सिंह और अन्य भाई भी झरिया आये. बच्चा बाबू पांच भाई थे. जिनमें अब दो ही बचे है. सबसे छोटे भाई रामधीर सिंह जेल में है. पूर्व विधायक विक्रम सिंह गांव में रहते हैं जबकि बड़े भाई सूर्यदेव सिंह, चौथे नंबर के भाई राज नारायण सिंह का निधन पहले ही हो चुका है. सोमवार को बच्चा बाबू का धनबाद के अस्पताल में निधन हो गया था. बच्चा बाबू फिलहाल जनता मजदूर संघ (बच्चा गुट ) की अगुवाई कर रहे थे.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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