Tnp desk:- इस साल की पहली तारीफ से ही राज्य की राजनीतिक तापमान इस ठिठुरती ठंड में बढ़ा दिया है. नववर्ष का जश्न का रंग सत्ताधारी दल के माननीय ने शायद ही मनाया हो. ईडी के समन के सामने मुख्यमंत्री हेमंत की बेबसी और दर्द भी समय-समय पर झलका जाता है. 1 जनवरी को गांडेय से जेएमएम विधायक सरफराज अहमद का इस्तीफा, कई तरह की सुगबुगाहट औऱ एक बैचेनी प्रदेश में बढ़ा दी. मुख्यमंत्री हेमंत के इस्तीफे की अटकले तेज हो गई .
बीजेपी प्रदेश अध्यत्र बाबूलाल का प्रहार जारी
इन तमाम सियासी सरगर्मियों के बीच भाजपा लगातार भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुखालफत और तोहमते लगा रही है. प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी तो लगातार सोरेन परिवार पर प्रहार करते आ रहे हैं. इस बीच बाबूलाल ने राज्यपाल को पत्र लिखाकर राज्य में संवैधानिक संकट की स्थित पैदा करने की तरफ इशारा किया है. अपने खत में अगाह करते हुए बाबूलाल लिखते है कि गांडेय विधानसभा से सरफराज अहमद का इस्तीफा संकेत देता है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस्तीफा देंगे. उनकी जगह उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम बनाने की योजना है. अगर राज्यपाल के समक्ष ऐसा किया जाता है. तो ये बिल्कुल असंवैधानिक औऱ विधि सम्मत नहीं होगा.
एक साल के अंदर चुनाव नहीं कराया जा सकता
झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल ने कानून के नियम और सेक्शन का हवाला देते हुए राज्यपाल को बताया कि अगले विधानसभा चुनाव होने के एक साल अंदर किसी सीट पर चुनाव नहीं कराया जा सकता है. यह असंवैधानिक औऱ विधि के अनुरुप होगा. उन्होंने आगे संविधान 164(3) और (4) का जिक्र किया, जो बताता है कि छह महीने की अवधि के अंदर एक मंत्री सदन का सदस्य बन जाएगा. अगर वह निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं. हालांकि, इस संबंध में उन्होंने रिकॉर्ड का हवाला दिया औऱ लिखा कि पांचवी झारखंड विधानसभा का परिणाम 23 दिसंबर 2019 को घोषित किया गया था. विधयकों ने अपना इस्तीफा दिया, जिसे 24 दिसंबर को स्वीकार कर लिया गया. बाबूलाल आगे लिखते है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1991 की धारा 151 ए सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि कोई भी निर्वाचन क्षेत्र छह महीने से अधिक समय तक प्रतिनिधित्वहीन न रहे . लेकिन ये अपवादों के अधीन ही है. यानि किसी सदस्य का कार्यकाल एक साल से कम हैं, वह कोई चुनाव नहीं होगा. इसलिए, इससे साफ है कि गांडेय निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव नहीं किया जा सकता, क्योंकि पांचवी झारखंड विधानसभा के कार्यकल पूरा होने में एक साल से भी कम वक्त बचा हुआ है.
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