धनबाद(DHANBAD) : यह अभागी मां अपनी कोख पर रोए कि समाज में बुजुर्गों के तिरस्कार पर आंसू बहाये. कहा जाता है कि बेटे की पीड़ा एक मां समझ सकती है. समझती भी है. बच्चे जब बड़े होते हैं, जब बुजुर्गों को उनके सहारे की जरूरत होती है तो उन्हें बेसहारा छोड़कर निश्चित हो जाते हैं. अगर आप किसी ओल्ड एज होम पहुंच जाइए, तो ऐसी ऐसी कहानी सुनने को मिलेगी, जो दिल को दहला देगी. सोचने पर मजबूर कर देगी कि क्या इसी के लिए एक मां ने 9 महीने का कष्ट झेल कर बेटा या बेटी को पैदा किया. उसके बाद भी कितना कष्ट झेल कर बच्चों को बड़ा किया. पढ़ा -लिखा कर काम धंधे लायक बनाया और जब उस मां को बेटे की जरूरत हुई तो बेटा ने उसे छोड़ दिया.
जब सहारे की जरुरत थी तो उम्र के अंतिम पड़ाव पर सब साथ छोड़ गए
ऐसी ही एक हृदय विदारक घटना सोमवार को धनबाद के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में देखने को मिली. जिस बेटे को 9 महीने कोख में रखा, बड़ा किया, जिस पोते के लिए सब कुछ किया, जिस परिवार के लिए अपनी सारी खुशियां लूटा दी, लेकिन उम्र के अंतिम पड़ाव पर सब साथ छोड़ गए. सोमवार को एक वृद्ध महिला को धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अकेले छोड़कर उसके परिवारजन भाग चले. फोन पर भी बात करना मुनासिब नहीं समझे.अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों ने महिला की पीड़ा देखी और सुनी तो परेशान हो गए. महिला का इलाज किया,उसे भर्ती कर लिया. महिला की कमर की हड्डी टूटी हुई है. डॉक्टर तो ऑपरेशन करने को तैयार हैं, लेकिन ऑपरेशन के लिए परिजनों का आना जरूरी है. पर महिला के परिजन कोई आने को तैयार नहीं है. प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि सुबह एक वृद्ध महिला को एक युवक टोटो से लेकर ओपीडी पहुंचा और उतार कर चला गया.
दर्द से कराहती वृद्ध महिला काफी देर तक जमीन पर पड़ी रही
काफी देर तक वृद्ध महिला जमीन पर पड़ी रही. वह दर्द से कराह रही थी. कर्मचारियों की जब नजर पड़ी तो पूछताछ की. महिला ने बताया कि उनका नाम सावित्री देवी है और वह हीरापुर तेली पाड़ा की रहने वाली है. उनकी कमर की हड्डी टूटी हुई है. पोता दीपक उसे यहां लेकरआया था और छोड़कर चला गया. महिला ने फोन नंबर भी दिया. कर्मचारियों ने जब कॉल किया तो कोई रिस्पांस नहीं मिला. अंत में कर्मचारी उसे लेकर हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास पहुंचे. डॉक्टर ने जांच किया तो कमर की हड्डी टूटी हुई पाई गई. डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कर लिया है. महिला को सर्जरी की जरूरत है लेकिन परिजनों के आए बिना यह कैसे संभव होगा. बताया जाता है कि महिला के पास मिले मोबाइल नंबर पर कॉल उठाने वाले ने अपना नाम चिंतामणि बताया. पहले उसने अपने को दीपक का पिता बताया. महिला के बारे में पूछते ही कहने लगा कि वह महिला उसकी रिश्तेदारी है. मां नहीं है. उसने वृद्ध महिला की बेटी का नंबर दे दिया. बेटी ने बताया कि वह बाहर है. उसने वापस चिंतामणि का नंबर देते हुए बताया कि वह उसका बेटा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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