रांची(RANCHI): 1 जुलाई से ही सहायक पुलिसकर्मी अपनी मांगों को लेकर मोरहाबादी मैदान में टेंट लगाकर बैठे हैं. आपको बता दें कि सहायक पुलिसकर्मी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से सरकार से लड़ाई लड़ रहे हैं, हालांकि सरकार की तरफ से उन्हें कई बार आश्वासन भी मिला लेकिन उनकी मांगों पर कोई फैसला नहीं लिया गया. एक बार फिर से अपना सब्र तोड़ते हुए पुलिसकर्मी राजभवन घेरने के लिए निकले लेकिन सरकार के झूठे वादों ने फिर से उन्हें रोक दिया.
पुलिस कर्मियों की मांग
आपको बता दें कि जब सहायक पुलिस कर्मियों की भर्ती हुई थी, तब उनसे वादा किया गया था कि 3 साल बाद उन्हें जिला पुलिस में समायोजित कर दिया जाएगा और उनकी उम्र के आधार पर वेतन के साथ सम्मान भी दिया जाएगा. लेकिन 7 साल बीत जाने के बाद भी वे अपने हक के लिए दर-दर भटक रहे हैं. वहीं सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि कई पुलिस कर्मी अपने हक की लड़ाई हार गए और आत्महत्या कर ली. लेकिन इसके बाद भी उन्हें जिला पुलिस की तर्ज पर सम्मान नहीं दिया गया, उन्हें आम आदमी की तरह अंतिम विदाई दी गई.
बीजेपी की सरकार में हुई थी बहाली
नक्सलवाद को खत्म करने के लिए 2017 में सहायक पुलिस कर्मियों की बहाली की गई थी. इस दौरान बीजेपी सत्ता में थी और रघुवर दास झारखंड के मुख्यमंत्री थे. बहाली के दौरान रघुवर दास ने सहायक पुलिस कर्मियों से वादा किया था कि 3 साल बाद उन्हें जिला पुलिस में समायोजित कर दिया जाएगा, लेकिन इसी बीच विधानसभा चुनाव हो गए और जेएमएम की सरकार बन गई. जिसके बाद सहायक पुलिस कर्मी अपनी मांगों को लेकर राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास गए, जहां उन्हें आश्वासन दिया गया कि जल्द ही उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा. लेकिन तब मुख्यमंत्री का यह वादा झूठा साबित हुआ.
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