मंजूरी के बाद सवाल भी : "कोल् सेतु नीति" से कोल् इंडिया को क्या होंगे फायदे, क्या लग पाएगी कोयला तस्करी पर रोक !


धनबाद(DHANBAD) : कोयला क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. कोल सेतु नीति को मंजूरी दे दी है. लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस कोल सेतु नीति से कोयला चोरी और तस्करी पर लगाम लग सकेगा? फिलहाल अगर कोयलांचल और शिल्पांचल की बात की जाए तो कोल इंडिया की दो सहायक कंपनी बीसीसीएल और ईसीएल कोयला चोरी और तस्करी के लिए बदनाम होती जा रही है. कोयलांचल-शिल्पांचल में अवैध खनन के मजबूत सिंडिकेट की ताकत किसी से छिपी नहीं है. इसके बाद से यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोल सेतु से ईमानदारी से कारोबार करने वाले उपभोक्ताओं को क्या कुछ लाभ हो पाएगा?
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नीति को मिली है मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कोल् सेतु नीति को मंजूरी दी गई और दावा किया गया कि कोयला लिंकेज व्यवस्था में पारदर्शिता और दक्षता लाने की बड़ी कोशिश की गई है. सवाल उठता है कि जिस ढंग से व्यवस्थाएं चल रही है, उसमें यह नई नीति कितना कारगर हो सकती है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग हुई, इसमें कई अहम निर्णय लिए गए. कोल सेक्टर के लिए भी कैबिनेट ने एक बड़ा फैसला लिया. कैबिनेट ने कोयला लिंकेज की नीलामी के लिए नीति को मंजूरी दे दी है. इस नई नीति का नाम कोल सेतु विंडो रखा गया है.
मंजूरी के बाद सरकार की ओर से क्या किया गया है दावा ?
कहा गया है कि इसका मकसद कोयले का इस्तेमाल बिना किसी रोक-टोक के, कुशलता से और पारदर्शी तरीके से करना है. इस नीति के तहत कोयले का उपयोग किसी भी औद्योगिक काम और निर्यात के लिए किया जा सकेगा. यह नई नीति सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों की श्रृंखला में एक और महत्वपूर्ण कदम कहा गया है. यह नीति कोयला लिंकेज को लंबी अवधि के लिए नीलामी के आधार पर आवंटित करने की अनुमति देगी. इसका मतलब है कि कोई भी घरेलू खरीदार जिसे कोयले की जरूरत है, वह इस कोल सेतु विंडो में भाग ले सकेगा. यह विंडो विशेष रूप से गैर-विनियमित क्षेत्र (NRS) के लिए 2016 की लिंकेज नीलामी नीति में जोड़ी गई है. हालांकि, कि इस विंडो के तहत कोकिंग कोल की नीलामी नहीं की जाएगी.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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