गुमला (GUMLA):-गुमला जिला को कई वर्षों पूर्व ही पूरी तरह से खुले में शौच से मुक्त जिला घोषित कर जिला प्रशासन की ओर से सम्मान भी प्राप्त कर लिया गया है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग है. आज भी कई इलाकों में महिलाएं खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर है. देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ खास चीजों को अपना मुख्य लक्ष्य बनाया था. उसमें देश के ग्रामीण क्षेत्रो को खुले में शौच से मुक्त करना, विशेष रूप से शामिल था. इसको लेकर प्रत्येक जिले में बड़ी राशि उपलब्ध कराई गई. जिसके माध्यम से हर घर को शौचालय उपलब्ध करवाने का काम शुरू किया गया. जिसके बाद कई इलाको में शौचालय का निर्माण भी किया गया,साथ ही साथ विगत दिनों तो कई जिलो को झारखंड में ओडीएफ जिला भी घोषित किया गया. जिसमें गुमला जिला भी शामिल था. लेकिन उसके बाद इसमें भी कई तरह के गड़बड़ी के मामले सामने आए. खैर उसको लेकर विभाग के स्तर पर जांच हो रही है .
यह अलग मामला है लेकिन शौचालय निर्माण का कार्य पूरा करने का जब दावा किया जाता है और उसके अनुसार जमीन पर सच्चाई देखी जाती है तो कुछ अलग ही तस्वीर सामने आती है. आज भी गुमला जैसे आदिवासी बहुल इलाके के कई गांव में लोगो को खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर होना पड़ता है . खासकर महिलाओ को दिक्कत का सामना करना पड़ता है जो काफी चिंता का विषय बना हुआ है. महिलाओ ने भी स्पष्ट कहा है की उनके गांव में तो किसी का शौचालय नहीं बना है. जिससे उन्हें आज भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है उन्हें शौच के लिए सुबह सुबह ही उठकर जाना पड़ता है या फिर जंगल की ओर जाना पड़ता है.
महिलाओं मे बना रहता है भय का माहौल
शौचालय का निर्माण नहीं होने के कारण बाहर जाने को मजबूर महिलाओ के साथ कभी भी कोई दुर्घटना होने की भी आशंका बनी रहती है. ऐसे में महिलाओ ने मांग की है कि उनके गांव घर में भी शौचालय का निर्माण करवाया जाय ताकि उन्हें इस तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े,क्योंकि अब उन्हें शौच के लिए काफी दूर जंगल की ओर जाना पड़ता है वही कई बार अकेले भी जाना पड़ता है जिससे उन्हें भय भी लगता है.
मामले की फिर से होगी जांच
वही इस गंभीर मामले पर जब जिला के डीसी कर्ण सत्यार्थी से बात की गई तो उन्होंने भी इसे काफी गंभीर मामला बताया है हालांकि उनकी माने तो जब जिला को ओडीएफ घोषित किया गया था तब सभी के घरों में शौचालय बना होगा लेकिन इसके बाद भी वे इसे एक बार चेक करवा लगे . साथ ही उन्होंने कहा कि कई बार परिवार के बंटवारे से भी कुछ लोगो के अलग होने से ऐसी स्तिथि बनी होगी लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों को चिन्हित कर उनके लिए शौचालय का निर्माण करवाया जाएगा वही उन्होंने कहा कि अगर लोग चाहे तो शौचालय निर्माण करवाने के लिए आवेदन भी दे सकते है. डीसी कर्ण सत्यार्थी का स्पष्ट मानना है कि सभी के घरों में शौचालय होने से एक तो उन्हें बाहर जाना नहीं पडता है वही गंदगी भी नहीं होती है जिससे कई बीमारियों से राहत मिलती है।ऐसे में स्पष्ट कहा जा सकता है कि जिले को फाइलों में तो ओडीएफ घोषित कर दिया गया लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है जो बताती है कि योजना के दी गयी राशि का बंदरबाट ही हुआ होगा जो एक जांच का मामला बनता है.
रिपोर्ट: सुशील कुमार सिंह
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