रांची(RANCHI): शुक्रवार को भाजपा युवा मोर्चा की ओर से आक्रोश रैली निकाला गया था. इस दौरान पुलिस ने आक्रोश रैली में शामिल भीड़ पर नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का प्रयोग हुआ था. वहीं इस मामले पर तकरीबन 12 हजार से अधिक लोगों पर FIR दर्ज कराई गई है. इधर, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की ओर से पुलिस पर कई तरह के आरोप लगाए गए.
बाबूलाल मंराडी ने लगाया रांची पुलिस पर आरोप
बाबूलाल ने अपने ट्विटर पर कुछ वीडियो शेयर कर लिखा गया है कि रांची पुलिस के अधिकारी झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता के तहत काम कर रहे हैं. जिसका जवाब अब रांची पुलिस की ओर से भी दिया गया है उस पोस्ट में लिखा गया है कि सरायकेला में आयोजन मुख्यमंत्री की कार्यक्रम में व्यवधान डालने के आरोप में कई झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था. उन्होंने लिखा कि माननीय मुख्यमंत्री का पद एक उच्च स्तरीय संवैधानिक पद है, जिसकी सुरक्षा सभी पहलू संवेदनशील होते हैं. जिस कारण पुलिस को उनकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए अडिग रहना पड़ता है.
रांची पुलिस ने क्या लिखा पोस्ट पर
माननीय महोदय
आपके द्वारा रांची पुलिस के ऊपर लगाए गए सभी आरोप तथ्य से सर्वथा परे और निराधार हैं। पुलिस द्वारा सभी जिम्मेदारियों का सम्यक निर्वहन किया गया है।
सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध वीडियो फुटेज का यदि निष्पक्ष अवलोकन किया जाए, तो ज्ञात होगा कि रांची पुलिस ने महत्तम संयम का परिचय देते हुए, विधि-व्यवस्था संधारण हेतु आवश्यक न्यूनतम बल प्रयोग किया है।
वरीय पुलिस अधीक्षक एवं अन्य पदाधिकारियों द्वारा कार्यकर्ताओं से लगातार अनुरोध किया जा रहा था कि वे पत्थर न चलाएं, बैरिकेड न तोड़ें एवं अपना कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से चलाएं तथा माननीय सांसदों एवं विधायकों से भी अनुरोध किया जा रहा था कि वे कार्यकर्ताओं को ऐसा करने से रोकें परंतु इसके बावजूद पुलिसकर्मियों पर बड़े पत्थर बरसाए गए और बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास जारी रहा, जिससे कुछ पुलिस पदाधिकारी एवं कर्मी घायल भी हुए हैं।
कई कार्यकर्ता पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकते समय भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे, इस दृश्य के परिप्रेक्ष्य में मीडिया द्वारा पूछे जाने पर ही वरीय पुलिस अधीक्षक रांची द्वारा यह बयान दिया गया था। इसे आपत्तिजनक कहना युक्ति-युक्त नहीं होगा।
"अपनी जिम्मेदारियों को छोड़, झामुमो कार्यकर्ता की तरह कार्य करने " के भवदीय आरोप के संबंध में विदित हो कि वरीय पुलिस अधीक्षक रांची जब पुलिस अधीक्षक सरायकेला-खरसावां (2017-18) के रूप में पदस्थापित थे, तब तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में व्यवधान पहुंचाने का प्रयास कर रहे झामुमो कार्यकर्ताओं को कड़ाई से न केवल रोका गया था बल्कि प्राथमिकी दर्ज कर तत्कालीन झामुमो जिलाध्यक्ष को हिरासत में भी भेजा गया था।
माननीय मुख्यमंत्री का पद एक उच्चस्तरीय संवैधानिक पद है जिसकी सुरक्षा के सभी पहलू संवेदनशील होते हैं एवं इसके संधारण हेतु पुलिस को दृढ़ रहना ही पड़ता है। जय हिंद
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