रांची(RANCHI): बांग्लादेश में शुरू हुआ आंदोलन अब हिंसा में बदल गया है. सेना और पुलिस ने भी हाथ खड़ा कर दिया. अब बांग्लादेश में अल्पसंख्यक को टारगेट किया जा रहा है. इस बीच रांची के मनीष भी परिवार के साथ बांग्लादेश में ही फसे हुए थे. लेकिन अब वापस वतन लौट गए. भारत लौटने के बाद मनीष का पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. THE NEWS POST से मनीष ने बांग्लादेश के हालत को साझा किया है. कैसे दिन और रात बीत रही थी. बच्चों के साथ घरों में कैद होने को मजबूर हो गए थे.
मनीष चौधरी ने बताया कि वह एक कंपनी में काम करते थे. पिछले दो साल से बंग्लादेश में रह रहे थे. लेकिन अचानक से शेख हसीना के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन हिंसा में बदल गया. लेकिन जिस जगह राउंगपुर में वह अपने परिवार के साथ रह रहे थे उस जगह पर किसी तरह का कोई खतरा नहीं था. हर कोई पहले के जैसा ही मिल रहे थे. लेकिन जब हिंसा बढ़ी तो सुरक्षा के लिहाज के कर्फ्यू लगाया गया था. उस दौरान आठ दिनों तक घर में ही रह रहे थे.
इस बीच भी बीच बीच में रिलीफ़ दिया जा रहा था. मनीष ने बताया कि बांग्लादेश में भारतीय के साथ काफी अच्छा व्यवहार लोग करते है. चाहे वह किसी भी धर्म से हो कभी भी कुछ गलत नहीं किया है. सुरक्षा को देखते हुए सभी के पास पुलिस और सेना के अधिकारियों का संपर्क नंबर भी जारी किया गया था. एक कॉल पर अधिकारी पहुँच रहे थे. उन्होंने यह भी बताया कि वापस से वह बांग्लादेश जाएंगे.
मनीष की पत्नी ने बताया कि छोटे छोटे बच्चों के साथ रहने में थोड़ा डर लग रहा था. जैसी खबरे मीडिया में चल रही थी ऐसे में एक डर के साए में रात और दिन बीत रहा था. अब जब अपने वतन लौट गए है तो एक सुकून मिला है. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में लंबे समय से रहते है. लेकिन कभी खुद को असुरक्षित महसूस नहीं किया है.बांग्लादेश के लोग काफी अच्छे है उनका आपस का कुछ मुद्दा है जिसे लेकर प्रदर्शन कर रहे है.
बता दे कि मनीष चौधरी का परिवार रांची के पहाड़ी मंदिर के पास का रहने वाला है. दो साल पहले वह एक प्रोजेट में बांग्लादेश गए थे. उनके साथ उनका परिवार था. जिसमें दो बच्चे और पत्नी शामिल है. बच्चे बांगलादेश में ही पढ़ाई करती है. छोटी बेटी LKG और बड़ी बेटी UKG में पढ़ती है.
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