गुमला (GUMLA) : गुमला जिला में अवैध रूप से संचालित ईंट भट्टों पर इन दिनों प्रशासन का बुलडोजर चल रहा है. जिले में कई भट्टों को अवैध रूप से चिन्हित कर जिला के उपायुक्त ने इन सभी भट्टों को तोड़ने का निर्देश दिया है. इसके बाद से ही गुरुवार को भी ईंट भट्टों को ध्वसत किया गया और शुक्रवार को भी यह कार्रवाई जारी है.
क्या है मामला
गुमला जिला के विभिन्न इलाकों में कई ईट भट्टों का संचालन लंबे समय से किया जा रहा था. लेकिन कई के पास सभी तरह के कागजात उपलब्ध नहीं होने के कारण प्रशासन ने सभी को अवैध मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. जिले के उपायुक्त सुशांत गौरव के निर्देश के बाद जिले के उन सारे ईंट भट्टों को तोड़ा जा रहा है. इसको लेकर जिला खनन पदाधिकारी रामनाथ राय और अनुमंडल पदाधिकारी लगातार विभिन्न इलाकों का दौरा कर कार्रवाई कर रहे हैं. जिला के अनुमंडल पदाधिकारी रवि आनंद ने बताया कि प्रशासन द्वारा जांच के पश्चात यह पाया गया कि कई ईट भट्ठे अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं. इसके बाद उन सभी भट्टों को तोड़ने का निर्देश उपायुक्त के माध्यम से मिला है. इसी पर दो दिनों से कार्रवाई की जा रही है.
प्रयास के बाद भी नहीं बन पा रहा पर्यावरण सर्टिफिकेट
जिला में कई ईंट भट्टों का संचालन लंबे समय से किया जा रहा है. ईंट भट्ठा मालिकों की मानें तो यह प्रशासन के निर्देश के बाद उनके द्वारा लगातार सरकार के माध्यम से पर्यावरण सर्टिफिकेट लेने की कोशिश की जा रही है. लेकिन समय पर सर्टिफिकेट नहीं मिल पाने के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं खनन पदाधिकारी रामनाथ राय ने कहा कि कागजात की जांच करने के दौरान पाया गया कि सारे ईंट भट्ठा मालिक के पास सभी कागजात उपलब्ध नहीं होने के कारण गलत तरीके से ही भट्टों का संचालन किया जा रहा है. ऐसे में प्रशासन के पास इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. जिले में 60 से अधिक ईंट भट्टों का संचालन किया जाता है. फिलहाल इको सेंसेटिव जोन में पड़ने वाले सारे ईंट भट्टों को तोड़ने की तैयारी चल रही है. उसके बाद अन्य ईंट भट्ठों को लेकर भी कार्रवाई की जा सकती है.
बहरहाल प्रशासन द्वारा की जा रही कार्रवाई को लेकर ईंट भट्ठा मालिकों में काफी खौफ का माहौल देखने को मिल रहा है. मालिक मीडिया के सामने आकर कुछ भी बोलने से बचता हुआ नजर आ रहा है. वहीं कार्रवाई भले सही हो, पर ईंट भट्टों को ध्वस्त करने के दौरान एक जा खामी नजर आयी, वह है तैयार ईंटों को संभालने के लिए कोई पहल नहीं की गई. प्राकृतिक संपदा के दोहन से बनी इन ईंटों को सरकारी संरक्षण में लेने की दरकार थी.
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