धनबाद के Cadaver से देवघर एम्स, हजारीबाग और दुमका मेडिकल कॉलेजों में होगी पढ़ाई
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धनबाद (DHANBAD) : धनबाद की डेड बॉडी (कैडेवर) से देवघर एम्स, हजारीबाग और दुमका मेडिकल कॉलेजों के छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई करेंगे. उपरोक्त कॉलेजों के पास अपना कैडेवर नहीं है. तीनों मेडिकल कॉलेजों ने एसएनएमएमसीएच (धनबाद) से कैडेवर की मांग की है. जानकारी के अनुसार हजारीबाग मेडिकल कॉलेज को एक भेज दिया गया है. दुमका के लिए दो रखे हुए हैं. देवघर एम्स की मांग अभी प्रतीक्षा में है. अधिकारिक सूत्रों के अनुसार अज्ञात डेड बॉडी मिलने पर देवघर एम्स को भी भेज दिया जाएगा.
डेड बॉडी (कैडेवर) की जरुरत क्यों
सभी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हो चुकी है. फर्स्ट ईयर में एमबीबीएस के छात्रों को एनाटॉमी (शारीरिक रचना) की पढ़ाई कराई जाती है. यह पढ़ाई कैडेवर पर होती है. इसी के लिए मेडिकल कॉलेज कैडेवर की मांग कर रहे हैं. वैसे यह भी कहा जाता है कि धनबाद में भी कैडेवर की किल्लत है. यहां कुल पांच कैडेवर थे, जिसमें एक हजारीबाग मेडिकल कॉलेज को भेज दिया गया है. दुमका के लिए दो रखे हुए है. अब यहां सिर्फ दो ही बचे हैं ,जिन पर नए छात्रों की पढ़ाई होगी. यही वजह है कि देवघर एम्स की मांग अभी पेंडिंग है. सूत्रों के अनुसार अगर कैडेवर मिलेगा तो देवघर को भी भेज दिया जाएगा.
जानिए क्या है कैडेवर
मेडिकल कॉलेज में अज्ञात शव (अनक्लेम डेड बॉडी) का 72 घंटे तक अगर कोई दावेदार नहीं आता है तो कानूनी प्रक्रिया के बाद उसे एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए मेडिकल कॉलेज को दिया जा सकता है. कुछ लोग तो अपने परिजनों की मौत के बाद शरीर को मेडिकल कॉलेज को पढ़ाई के लिए डोनेट कर देते हैं. ऐसे डेड बॉडी पर केमिकल का लेप लगाकर सुरक्षित रखा जाता है. इससे डेड बॉडी ख़राब नहीं होती है और वह तीन से 5 वर्षों तक सुरक्षित रहती है. इसे ही कैडेवर कहा जाता है.
रिपोर्ट : सत्यभूषण, धनबाद
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