न पीने को मिलता साफ पानी, न सोने को चार घंटे, बंधक से मुक्त हुए मजदूरों ने सुनाई आपबीती


टीएनपी डेस्क(TNP DESK) : आंध्रप्रदेश के आइस आइलैंड में रखे चाईबासा के 16 श्रमिकों को बंधक बनाकर रख लिया गया था. इन श्रमिकों को काम के बहाने वहां ले जाया गया था. आइस आईलैंड में उनसे मछली पालन का काम करवाया जाता था. वहां उनसे 22 घंटे तक काम लिया जाता था. श्रमिकों के अनुसार उनसे रात में भी काम कराया जाता था. काम नहीं किए जाने पर उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट भी की जाती थी. कार्यस्थल पर कहना तो दूर की बात, उन्हें पीने का साफ पानी भी नहीं मिलता था. इसके बाद श्रमिकों ने काम करने से मना कर दिया और वापस झारखण्ड लौटने की बात कही, जिसके पश्चात श्रमिकों से दुर्व्यवहार किया गया और उन्हें बंधक बनाकर रख लिया गया. उन्हें उनकी मजदूरी का पैसा भी नहीं दिया गया. जैसे ही इस मामले का संज्ञान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नजर में आया, वैसे ही मुख्यमंत्री ने श्रम अधीक्षक, और श्रम विभाग, झारखण्ड के राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को श्रमिकों की घर वापसी कराने का निर्देश दिया. इसके बाद प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने आंध्रप्रदेश के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाया और आंध्रप्रदेश पुलिस ने वहां के श्रम विभाग की टीम के साथ छापेमारी कर श्रमिकों को मुक्त कराया.
श्रमिकों को मिली 15 दिनों की मजदूरी
राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष की पहल पर श्रमिकों को 15 दिनों का कुल पारिश्रमिक 48,000 रुपए का भुगतान करा दिया गया है. सभी श्रमिक विजयवाड़ा स्टेशन से दो दिसंबर की सुबह ट्रेन से झारखण्ड के लिए रवाना हो चुके हैं. श्रमिकों ने एक वीडियो के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है.
रिपोर्ट: समीक्षा सिंह, रांची डेस्क
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