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चाईबासा (CHAIBASA) - झारखण्ड के पश्चिम सिंहभूम में मजदूरों को इलाज के नाम पर धोखा मिल रहा है. यहां केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पताल की हालत खुद मरणासन्न पड़े बीमार मरीज की तरह है. यहां मरीज आपको भले नजर नहीं आयें लेकिन इस अस्पताल में डॉक्टर, नर्स से लेकर आया और सफाईकर्मी तक काम करते हैं. केंद्र सरकार इस अस्पताल के संचालन में लाखों करोड़ों का खर्च करती है, लेकिन इलाज किसी मरीज का नहीं होता.
बर्बादी की दास्तान
यकीन मानिए ये केंद्र सरकार द्वारा संचालित 52 बेड वाला एक अस्पताल है. पश्चिम सिंहभूम के बड़ाजामदा में खनन मजदूरों के लिए बने इस अस्पताल को देखते ही आपको किसी पुरानी फिल्म का भूत बंगला याद आ जाएगा. यह अस्पताल एक खंडहर की तरह है. अस्पताल के अन्दर का नजारा देख आप हैरान रह जाएंगे. यहां बेड है लेकिन बिस्तर अपनी बर्बादी की दास्तान सुना रहा है. कुर्सियां टेबल भी जर्जर अवस्था में पड़ी हुई है. मरीजों का पूरा कमरा जर्जर है. छत का प्लास्टर गिरकर नीचे पड़ा हुआ है. कब से गिरकर इसी तरह पड़ा हुआ है ये किसी की जानकारी में नहीं है. अस्पताल में मरीजों का कमरा देख कर ऐसा लगता है जैसे सालों से इस अस्पताल में सफाई के लिए एक बार भी झाड़ू नहीं लगा है. इस अस्पताल में मरीजों के लिए व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं है. बता दें कि अस्पताल की हालत इतनी खराब है कि यहां किसी मरीज को एक दिन के लिए भी भर्ती कर दिया जाए तो उसकी सांसें डर के मारे अटक जाएगी. अस्पताल की बदहाल व्यवस्था के कारण स्थानीय लोग ठगा सा महसूस कर रहे हैं, उन्हें इस अस्पताल से किसी प्रकार का भी इलाज नहीं मिलता है.
करोड़ों के वेतन का भुगतान
आप ताज्जुब करेंगे कि इस खंडहर जैसे अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर, नर्स, आया, वार्ड बॉय, सफाईकर्मी समेत 30 लोगों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की गयी है. भले एक ही मरीजों का इलाज इस अस्पताल में ना होता हो, लेकिन केंद्र सरकार सालाना इस अस्पताल में काम करने वाले चिकित्साकर्मी और गैर चिकित्साकर्मियों को करोड़ों का वेतन भुगतान करती है. यही नहीं इस अस्पताल में आप जाएंगे तो सरदर्द की दवा तक नहीं मिलेगी. लेकिन इस अस्पताल में महीने में 25 लाख रुपए का दवा केंद्र सरकार भेजती है. इस अस्पताल में सरकारी वाहनों की भी हालत देख लीजिए. पड़े पड़े सरकारी वाहन सड़ गए. यहां तक की एम्बुलेंस ने भी दम तोड़ दिया. अस्पताल एम्बुलेंस विहीन है. मरीजों को लाने ले जाने का काम ठप्प है. लेकिन फिर भी यह एक अस्पताल है. इस अस्पताल के डॉक्टर से लेकर अधिकारी के कमरे में ताला पड़ा हुआ रहता है. ऐसे में ज्यादातर लोग घर बैठे ही तनख्वाह उठा रहे हैं.
भूत बंगला के संचालन में करोड़ों का खर्च
इस अस्पताल के संचालन में करोड़ों का खर्च केंद्र सरकार कर रही है लेकिन इलाज के नाम पर यहां के लोगों को बस धोखा मिल रहा है. पश्चिम सिंहभूम के खनन बहुल क्षेत्र बड़ाजामदा में इस अस्पताल को खनन कार्य में लगे मजदूरों के इलाज के लिए बनाया गया था. खनन कम्पनियों द्वारा दी गयी सेस की राशि से इस अस्पताल के संचालन के लिए करोड़ों का फंड मिलता है, लेकिन उस फंड का स्तेमाल किस तरह बर्बाद हो रहा है वो आपके सामने है. अस्पताल चलाने और मरीजों का इलाज करने के नाम पर यहां कर्मचारी सिर्फ धूप सेंकने का काम करते हैं. अस्पताल की अव्यवस्था पर सवाल करो तो जवाब ऐसा मिलता है जैसे कि इन्हें किसी का डर नहीं, ये जो चाहें वो करें.
भ्रष्टाचार का एक बड़ा नमूना
साफ़ लफ्जों में कहा जाए तो पश्चिम सिंहभूम के बड़ाजामदा में चल रहा सेस अस्पताल लूट खसोट और भ्रष्टाचार का एक बड़ा नमूना बना गया है. बता दें कि इलाज के नाम पर यहां आम लोगों को धोखा मिल रहा है. जबकि कर्मचारी फांकी मारकर बिना काम के लाखों रुपए का वेतन उठा रहे हैं. यह सब कुछ सरकारी सिस्टम के लचर व्यवस्था की कारस्तानी है. अगर सरकार के बड़े अधिकारी इस पर ध्यान दिए होते तो इस अस्पताल की स्थिति भूत बंगले जैसी नहीं होती और ना ही यहां के खनन मजदूरों को प्राइवेट में जाकर जेब से पैसे खर्च कर अपना इलाज कराना होता. सेस कमिश्नर एमए खान जब अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे तो वे भी अस्पताल की दुर्दशा देख हक्का बक्का रह गए. उन्होंने कहा कि अस्पताल की बदहाल व्यवस्था की रिपोर्ट वे अपने आला अधिकारियों को देंगे.
रिपोर्ट : जय कुमार, चाईबासा
Thenewspost - Jharkhand
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