गुमला (GUMLA) : जिला में नक्सलियों की तीन दिनों की बंदी का प्रभाव देखने को मिल रहा है. इसका सबसे अधिक प्रभाव जिला मुख्यालय से खुलने वाली बसों पर देखने को मिल रहा है. जहां बसें नहीं चल रहीं हैं, वहीं बस स्टैंड की ज्यादातर दुकाने या तो बंद हैं, या फिर बिना ग्राहकों के ही खुली हैं. कुल मिला कर वीरान सा नजारा है.
गुमला जिला के ललित उरांव बस पड़ाव से एक सौ से अधिक बसों का परिचालन प्रति दिन होता है. लेकिन मंगलवार को एक-दो बस ही चली है. इस कारण अधिकांश बस स्टैंड में ही खड़ी है. बसों का परिचालन नहीं होने से बसों से जुड़े ड्राइवर खलासी की जीविका तो प्रभावित होती ही है. साथ ही साथ बस स्टैंड में दुकान लगाने वाले और रिक्शा टैम्पू चलाने वालों को भी काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि करीब सौ ठेले और दुकानदारों का परिवार बसों के परिचालन पर निर्भर है. दुकानदार सोमदेव कहते हैं कि पहले से ही काफी दिक्कत से परिवार चला रहे हैं. ऐसे में बंदी होने से उन्हें और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ठेला पर फल बेचने वाले सुरेश प्रसाद कहते कि पुलिस हों या नक्सली, उन लोगों की समस्या देखने वाला कोई नहीं है. वहीं टेम्पू चालक भी मानते है कि बंदी में कमाई नही होने से परिवार चलना भी मुश्किल हो जाता है.
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