टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही भाजपा से टक्कर लेने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की मशाल जलायी. पटना से शुरु हुआ ये कारंवा लगातार बढ़ता ही जा रहा है . विपक्ष कहीं न कहीं मजबूरी में ही सही लेकिन साथ चलने के लिए तैयार है. क्योंकि उनके सामने भाजपा की बड़ी चुनौती खड़ी है.
संयोजक बनने से नीतीश का इंकार
सीएम नीतीश कुमार पर चर्चा शुरुआत से तेज थी कि, शायद नीतीश बाबू प्रधानमंत्री बनने के लिए बीजेपी से अलग हुआ. जिसका उन्होंने खंडन किया था कि उनकी कोई ख्वाहिश भी इस तरह की है. इधर इनका नाम इंडिया का संयोजक बनने पर भी चल रहा था. आज हुई वर्चुअल बैठक में उनके नाम पर प्रस्ताव रखा गया. जिसे नीतीश ने साफ तौर पर ठुकराकर सभी को चौका दिया. इस पद को लेकर उन्होंने बोला कि उन्हें इसकी कोई लालसा नहीं है. उनके इंकार से भी कई मायने निकाले जा रहे हैं, जो समय के बाद ही पता चलेगा. वैसे टीएमसी ने नीतीश को संयोजक बनाए जाने का विरोध किया था. अब खुद ही बिहार के मुख्यमंत्री ने संयोजक पद ठुकराकर गेंद कांग्रेस के पाले में कर दिया है.जेडीयू नेता संजय झा भी बैठक में मौजूद रहे, नीतीश के फैसले पर उनका मनाना था कि कांग्रेस पार्टी से किसी को जिम्मेदारी लेनी चाहिए. जबकि, एक रिपोर्ट में कुमार ने कहा था कि तब ही ये भूमिका स्वीकार करेंगे, जब सभी पक्ष सहमत होंगे.
मल्लिकाअर्जुन खरगे बने अध्यक्ष
इस बैठक मे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खरगे को गठबंधन का अध्यक्ष बनाया गया. मालूम हो की इससे पहले दिसंबर में ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर खड़गे का नाम प्रस्तावित किया था. जिसका समर्थन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी किया था.
इंडिया की हुई बैठक में सीट शेयरिंग पर भी चर्चा हुई. इसके साथ ही कई गठबंधन को लेकर भी कई अन्य मसले पर बतचीत हुई. इस वर्चुअल मीटिंग में आरजेडी के मुखिया लालू यादव, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव,एनसीपी चीफ शरद यादव और आप के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हुए. जबकि, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे नदारद थे
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