टीएनपी डेस्क(TNP DESK): हाथरस गैंगरेप कांड में गुरुवार को SC-ST कोर्ट ने ढाई साल बाद फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 4 आरोपियों में से सिर्फ एक संदीप ठाकुर को दोषी माना है. जबकि 3 आरोपियों लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को बरी कर दिया है. अदालत ने संदीप को गैर इरादतन हत्या की (धारा-304) और SC/ST एक्ट में दोषी माना है. साथ ही संदीप को दोषी करार करते हुए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है.
पीड़ित पक्ष फैसले के खिलाफ
बता दें कि पीड़ित पक्ष के वकील महिपाल सिंह ने कहा कि चारों आरोपियों में से किसी पर भी गैंगरेप का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है. गैंगरेप को कोर्ट ने क्यों नहीं स्वीकार किया, ये जजमेंट की कॉपी मिलने के बाद पता चलेगा. जजमेंट की कॉपी पढ़ने के बाद हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे. वकील महिपाल सिंह का कहना है कि जब CBI ने 11 अक्टूबर को हाथरस केस की जांच शुरू की थी. जांच के दौरान पीड़ित औऱ आरोपियों के परिजनों समेत 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की थी. घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचने की दावा करने वाले चश्मदीद से भी कई बार पूछताछ की थी. क्राइम सीन के री-क्रिएशन के साथ घटनास्थल का नक्शा भी बनाया गया था. इसके बाद CBI ने इस मामले में आरोपी बनाए गए चार लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 325-SC/ST एक्ट, 302, 354 के तहत दुष्कर्म की नीयत से हमला 376 A और 376 के तहत आरोप तय किया था .
ढाई साल पहले 14 सितंबर को हुआ था हाथरस कांड
हाथरस के चंदपा क्षेत्र के एक गांव में 14 सितंबर 2020 को दलित युवती के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था. जिसमें आरोपी गांव के ही चार युवक थे. युवती के भाई ने गांव के ही संदीप ठाकुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. बाद में युवती के बयान के आधार पर 26 सितंबर को तीन अन्य लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवी सिंह को भी आरोपी बनाया गया था. युवती के बयान के बाद चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. युवती को बेहतर इलाज के लिए 28 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल लाया गया. जहां 29 सितंबर को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. इस घटना के विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन किए गए थे. मामला बढ़ने के बाद प्रदेश सरकार द्वारा एसपी औऱ सीओ सहित पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया था. जिसके बाद 11 अक्टूबर को मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी.
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