टीएनपी डेस्क(TNP DESK): लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव आज पेश हो रहा है.पिछले 26 जुलाई को कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसे स्वीकार कर लिया था. तीन दिनों तक इस पर चर्चा होगी अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब देंगे. मोदी सरकार के खिलाफ पिछले 9 साल में यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है.
क्या हो सकता है अविश्वास प्रस्ताव के दौरान
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार से चर्चा प्रस्तावित है.इसको लेकर संसदीय दल की बैठक आयोजित हुई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में संसद के सभाकक्ष में बैठक हुई. अविश्वास प्रस्ताव के तहत सभी राजनीतिक दलों को संसद में प्रतिनिधित्व के प्रतिशत के हिसाब से समय आवंटित किए जाते हैं. कांग्रेसी नेता राहुल गांधी भी अविश्वास प्रस्ताव पर आयोजित चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं. राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता फिर से बहाल होने के बाद सोमवार को वे संसद पहुंचे थे.
क्या पीएम मोदी की सरकार गिर जाएगी ?
संवैधानिक व्यवस्था के तहत लोकसभा में कम से कम 50 सदस्यों के लिखित नोटिस के माध्यम से अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. सरकार के खिलाफ अगर बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है तो फिर सरकार गिर जाती है. चर्चा के उपरांत जब सदन के नेता यानी प्रधानमंत्री के द्वारा जवाब दिए जाने के उपरांत वोटिंग कराई जाती है.यह आंकड़ों का खेल है. प्रस्ताव के खिलाफ अगर अधिक वोट आते हैं तो फिर सरकार को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है. 8 अगस्त से शुरू हो रहे इस चर्चा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त को जवाब देंगे. एनडीए के साथ जो दल नहीं है वह भी इधर-उधर इस अविश्वास प्रस्ताव पर बिखरते नजर आ रहे हैं.
फिलहाल मोदी सरकार को किसी प्रकार का खतरा नहीं है.लोकसभा में उसके सदस्यों की संख्या 332 है. उल्लेखनीय है कि निचले सदन में विपक्ष के पास 150 से भी कम के आंकड़े हैं.
थोड़ा इतिहास भी जानते हैं
सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का यह ताजा एपिसोड कोई नया नहीं है. इससे पहले 27 बार लोकसभा में विश्वास का प्रस्ताव लाया गया था. सबसे पहले 1963 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ विश्वास प्रस्ताव लाया गया था. चीन के हाथों हार के बाद लोकसभा में जेबी कृपलानी ने नेहरू सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव लाया था जो गिर गया.
सबसे अधिक अविश्वास का प्रस्ताव इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ 10 बार लाए गए. लेकिन संख्या बल के आधार पर इंदिरा सरकार मजबूत रही तो सरकार को किसी प्रकार का खतरा नहीं हुआ. 2018 में भी मोदी सरकार के खिलाफ तेलुगू देशम पार्टी ने अविश्वास का प्रस्ताव लाया था. अविश्वास प्रस्ताव को लेकर पक्ष और विपक्ष के लोग अपना-अपना तर्क देते हैं.सत्ता पक्ष के लोगों का कहना है कि विपक्ष को भी अपनी ताकत का एहसास हो जाएगा. उल्लेखनीय है कि लोकसभा में मंत्रिपरिषद के खिलाफ नियम 198 (1) के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.
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