ट्विटर का नम्बर वन बना ‘भाजपा शराब घोटला’, देखिये कैसे लगा रहा है 4400 करोड़ घोटाले का आरोप

रांची(RANCHI)- दिल्ली की आप सरकार, छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार और झारखंड की हेमंत की सरकार को शराब घोटाले की लपेट में लेने की जुगत में बैठी भाजपा के विरुद्ध कांग्रेस को एक बड़ा मुद्दा हाथ लगता दिख रहा है, जिसके बाद भाजपा शराब घोटला ट्विटर पर ट्रेन्ड करने लगा है. भ्रष्टाटार के मुद्दे पर कर्नाटक चुनाव में औंधे मुंह गिरी भाजपा के सामने यह परसेप्शन की बड़ी लड़ाई बनती दिख रही है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस से जुड़े सुशील आनंद के प्रेस वार्ता से शुरु हुआ यह ट्रेंड
दरअसल इस आरोप की शुरुआत छत्तीसगढ़ कांग्रेस से जुड़े सुशील आनंद के इस आरोप से हुआ है कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच भाजपा की रमन सिंह सरकार के द्वारा नियमों को ताक पर रख कर समुद्र राम सिंह को आबाकारी विभाग में रखा गया और शराब लाइसेंस के नियमों में बदलाव कर करीबन 4400 करोड़ रुपये के शराब घोटाले को अंजाम दिया गया.
इडी से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के विरुद्ध कार्रवाई की मांग
अब कांग्रेस की ओर से तात्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह, पूर्व आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल और गणेशंकर मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है. सुशील आनंद का दावा है कि पिछले तीन वर्षों की कैग रिपोर्ट में इस घोटाले की कई परतें खुल चुकी है, अब सवाल महज उस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई किये जाने की है. दावा किया जा रहा है कि रमन सिंह की सरकार के द्वारा वर्ष 2012 से 17 के बीच शराब ठेकेदारों से मिलीभगत कर 4400 करोड़ का घोटाला किये जाने का पुख्ता सबूत है.
दिल्ली सरकार की तर्ज पर आबकारी नीतियों में किया गया था बदलाव
सुशील आनंद का दावा है कि रमन सरकार के द्वारा ठीक उसी प्रकार आबकारी नीतियों परिवर्तन किया गया है, जिस प्रकार से आप सरकार के द्वारा दिल्ली में किया गया, यदि आबकारी नीतियों में बदलाव करने पर दिल्ली की सरकार भ्रष्ट्र है, तो उसी प्रकार की आबकारी नीतियों में परिवर्तन करने पर रमन सिंह सरकार निर्दोष कैसे हो गयी?
दिल्ली सरकार भ्रष्ट तो रमन सिंह की सरकार निर्दोष कैसे?
सवाल किया जा रहा है कि आखिर रमन सिंह सरकार ने दशकों से चली आ रही नीतियों में यह बदलाव क्यों किया? और यह बदलाव किसके हित में किया गया? राज्य सरकार को इस फैसले से राजस्व की जो हानि पहुंची, उसका जिम्मेवार रमन सिंह की सरकार क्यों नहीं है? दिल्ली की आप सरकार और रमन सिंह की सरकार में यह भेद क्यों? क्या रमन सिंह की सरकार के द्वारा किये गये भ्रष्ट्राचार से आंखे सिर्फ इसलिए मुंदी जा रही है, क्योंकि वह भाजपा से हैं, यह दोहरी नीति क्यों? 4400 करोड़ के इस शराब घोटाले में इडी अपनी कार्रवाई कब करेगी?
रमन सिंह पर अपने नजदीकी शराब काराबारियों के हित में नियमों में परिवर्तन करने आरोप
दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2012 से 2117 के बीच रमन सरकार के द्वारा अपने नजदीकी शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए उनके उत्पादों को बगैर मापदंडों का पालन किये हुए IMFL (इंडियन मेड फॅरिन लिकर) में शामिल करवा दिया गया. इंडियन मेड फॅरिन लिकर की श्रेणी में शामिल किये जाने के साथ ही इस शराब को उचीं कीमत पर बेचा गया और इसमें करोड़ों रुपये का कमीशन का खेल हुआ.
सोशल मीडिया पर ट्रेन्ड पर हुआ ट्रेंड
अब यह खबर सोशल मीडिया पर ट्रेन्ड करने लगा है. भाजपा शराब घोटला के इस ट्विट को अब तक करीबन 7000 बार रिट्विट किया जा चुका है और यह नंबर वन पर ट्रेंड कर रहा है. ध्यान रहे कि कर्नाटक में भाजपा की एतिहासिक हार का सबसे बड़ा कारण वहां की बोम्मई सरकार के विरुद्ध चस्पा 40 फीसदी कमीशन आरोप था, माना जाता है कि इसी 40 फीसदी कमीशन के खेल में आम लोगों के बीच भाजपा की छवि एक भ्रष्ट सरकार की बन गयी, और जिसकी आखिरी परिणति कर्नाटक से भाजपा की विदाई के रुप में हुई.
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