नई दिल्ली(NEW DELHI): स्वतंत्रता के बाद भारत का संविधान बना था. 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा इसे तैयार कर संसद में इसे अंगीकृत करने के लिए पेश किया गया था. 2 साल 11 महीने और 18 दिन की मेहनत के बाद भारत का संविधान तैयार हुआ था. 26 जनवरी 1950 से यह लागू हुआ. यह दुनिया का सबसे बड़ा और हाथ से लिखा हुआ संविधान है. आज संविधान की स्वीकृति के 75 साल हो गए हैं. इस मौके पर पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में “हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान” की थीम पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं.
जानिए वर्षगांठ पर आयोजित विशेष कार्यक्रम के बारे में
संविधान दिवस के इस खास मौके पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू मुख्य अतिथि थी. राष्ट्रपति के अलावा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मंच पर आसीन हुए. इस दौरान इस विशेष समारोह में संस्कृत और मैथिली में भी भारत के संविधान की प्रति का विमोचन किया गया. इस मौके पर 75 रुपए का सिक्का और एक डाक टिकट भी जारी किया गया है. इसके अलावा 2 किताबों 'भारतीय संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा' और 'भारतीय संविधान का निर्माण: एक झलक' का विमोचन किया गया.
वहीं, कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने सभी देशवासियों को संविधान के 75 साल होने की बधाई दी. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि, “इसी सेंट्रल हॉल में आज ही के दिन 26 नवंबर को संविधान सभा ने संविधान निर्माण को लेकर बहुत बड़ा काम किया था. देश का सबसे पवित्र ग्रंथ और लोकतंत्र की आधारशीला संविधान है. मैं आज के इस संविधान दिवस के अवसर पर सभी देशवासियों को बधाई देती हूं. साथ ही देश की तरफ से संविधान सभा के सदस्यों को नमन और श्रद्धांजलि देती हूं.” उन्होंने देशवासियों से 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए काम करने की अपील की.
संविधान लिखने में लगी थी 6 महीने की मेहनत
बता दें कि, मूल रूप से भारत का संविधान अंग्रेजी में लिखा गया था. इसे हाथ से मशहूर कैलीग्राफी प्रेम बिहारी ने 6 महीने की मेहनत के बाद लिखा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रेम बिहारी से संविधान को स्याही से लिखने का आग्रह किया था. इसके लिए प्रेम बिहारी ने कोई शुल्क भी नहीं लिया. संविधान को संपूर्ण रूप से लिखने में कलम की 432 नीब घिस गई थी. नंदलाल बसु और उनकी टीम के कलाकारों की पेंटिंग्स भी मूल संविधान में उपलब्ध है.
4+