महासंकट में महागठबंधन! 28 अप्रैल को जयप्रकाश वर्मा कोडरमा से निर्दलीय ताल ठोंकने का करने जा रहें एलान

Ranchi-भले देश में लोकसभा चुनाव का सियासी संग्राम अपने पूरे शबाब पर हो, भाजपा और उसके सहयोगी दल पूरी ताकत के साथ “अबकी बार चार सौ पार” के साथ जीत की हुंकार लगा रहे हों. लेकिन इधर झारखंड में इंडिया गठबंधन मुकाबले तो दूर अभी तक टिकटों के भ्रमजाल में ही उलझी नजर आ रही है. एक की नाराजगी दूर होती नहीं है कि दूसरे लोकसभा से असंतोष की खबर सामने आ जाती है और हर नाराजगी के पीछे सामाजिक समीकरणों को अनदेखी करने का आरोप. हालत यह है कि टिकट मिलने के बावजूद टिकट हाथ में रहेगा कि नहीं, अब तो इस पर भी संशय के बादल तैरते लगे हैं. चंद दिन पहले जैसे ही महागामा विधायक दीपिका पांडे सिंह को गोड्डा के सियासी अखाड़े में उतारने का एलान हुआ, दीपिका पूरे जोशो-खरोश के साथ बाबा वैधनाथ के मंदिर में जीत की दुआ मांगने पहुंच गयी. लेकिन बीच समर में ही दीपिका को पैदल कर प्रदीप यादव को टिकट थमा दिया गया. इस हालत में कल यदि चतरा और रांची से टिकट बदलाव की खबर सामने आये तो आश्चर्य नहीं होगी. क्योंकि नाराजगी और असंतोष की खबर हर सीट से है. हर जगह एक ही आरोप है कि इंडिया गठबंधन ने सियासत की जमीन पर सामाजिक हिस्सेदारी के सवाल को दरकिनार कर दिया.
कोडरमा में कुशवाहा भागीदारी का सवाल तेज
ठीक यही हालत कोडरमा लोकसभा सीट में भी देखने को मिल रही है. जयप्रकाश वर्मा की नजर इस सीट पर अर्से से थी. पूर्व सीएम हेमंत ने इसी आश्वासन के साथ जयप्रकाश वर्मा का भाजपा से झामुमो में इंट्री करवायी थी. दावा किया जाता है कि हेमंत सोरेन की रणनीति कोडरमा में जयप्रकाश वर्मा के चेहरे को सामने कर कुशवाहा समीकरण को साधने की थी. लेकिन गठबंधन की सियासत में यह सीट माले के हाथ आयी और उसने बगोदर विधायक विनोद कुमार सिंह को इस सीट से उतारने का एलान कर दिया. बावजूद इसके जयप्रकाश वर्मा ने हार नहीं मानी, और दावा किया कि विनोद सिंह इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार नहीं होकर सिर्फ माले का प्रत्याशी है, और वह अभी भी झामुमो के टिकट पर इस सीट से ताल ठोंकने की तैयारी में है.
जयप्रकाश वर्मा को चुभने लगा है झामुमो की चुप्पी
लेकिन लगता है कि झामुमो की चुप्पी अब जयप्रकाश वर्मा को चुभने लगी है, उनका धैर्य अब जवाब देने लगा है और वह निर्दलीय अखाड़े में उतरने का मन बना रहे हैं. अपने ताजा बयान में जयप्रकाश वर्मा ने दावा किया है कि वह 28 अप्रैल को अपने समर्थकों के साथ बैठक करने के बाद एक बड़ा एलान करेंगे. साफ है कि यदि जयप्रकाश वर्मा निर्दलीय मैदान में कूदने का एलान करते हैं तो उनके इर्द गिर्द कुशवाहा जाति की लामबंदी तेज हो सकती है. जिसका नुकसान इंडिया गठबंधन को उठाना पड़ सकता है.
जयप्रकाश वर्मा की इंट्री से बिगड़ सकता है खेल
यहां याद रहे कि एक अनुमान के अनुसार कोडरमा संसदीय सीट पर कोयरी कुशवाहा- 2-3 लाख, यादव 1.5-2 लाख, मुस्लिम-1-1.5 लाख राजपूत 50 हजार, भूमिहार 50 हजार से एक लाख की आबादी है. हालांकि यह कोई प्रमाणित डाटा नहीं है, लेकिन इतना साफ है कि कोयरी कुशवाहा की एक बड़ी आबादी है, और समीकरण के बूते रीतलाल बर्मा से लेकर तिलकघारी सिंह की सियासत चलती थी, और अब जब अन्नपूर्णा देवी ने राजद का दामन छोड़ कमल की सवारी की है, तब से उनके पक्ष में यादव जाति के मतदाताओं की गोलबंदी भी तेज हुई है, माना जाता है कि अन्नपूर्णा की जीत में दो लाख यादव जाति के मतदाताओं की अहम भूमिका होती है. इधर कुशवाहा जाति से जुड़े सामाजिक संगठनों के अंदर भी अपने उस अतीत को वापस पाने की झटपटाहट तेज है. उनके द्वारा अपनी सियासी हिस्सेदारी का सवाल खड़ा किया जाने लगा है, इस हालत में यदि जयप्रकाश निर्दलीय अखाड़े में कूदने का एलान करते हैं तो इसका नुकसान विनोद सिंह को झेलना पड़ सकता है.
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