धनबाद(DHANBAD): धनबाद लोकसभा के बोकारो विधानसभा में 49.50, चंदनकियारी में 70.50, धनबाद में 54.51, झरिया में 54.50, निरसा में 65.55 और सिंदरी में 68.28 प्रतिशत वोटिंग हुई है. इस चुनाव में शहरी क्षेत्र से वोटर कम निकले जबकि ग्रामीण इलाकों में वोटिंग का प्रतिशत अधिक रहा.
सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद
वैसे तो धनबाद लोकसभा के सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है. 4 जून को नतीजे आएंगे, लेकिन धनबाद के चुनाव परिणाम को लेकर रांची से लेकर दिल्ली तक के लोगों में काफी रुचि है. चुकी धनबाद लोकसभा का चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा. कांग्रेस प्रत्याशी अनुपमा सिंह का कहना है कि हमारी जीत का अंतर अधिक होगा. उन्होंने धनबाद लोकसभा के सभी मतदाताओं के प्रति आभार व्यक्त किया है. वहीं भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो ने कहा है कि धनबाद संसदीय क्षेत्र में ऐतिहासिक जीत होगी. हर वर्ग के मतदाताओं का जो समर्थन मिला है, वह अविस्मरणीय है.
इधर, एके राय की पार्टी मासस प्रत्याशी जगदीश रवानी ने कहा है कि बदलाव जरूरी है. जनता का समर्थन मिला है. फैसला आने पर सब कुछ साफ हो जाएगा. छठे चरण के चुनाव में 25 मई को झारखंड की चार सीटों धनबाद, रांची, जमशेदपुर और गिरिडीह में मतदान हुए.
2019 के चुनाव में इन सीटों पर एनडीए की जीत हुई थी. इनमें तीन पर भाजपा और एक सीट गिरिडीह पर उसकी सहयोगी आजसू ने जीत हासिल की थी. छठे चरण के चुनाव की बात की जाए तो राज्य की अन्य सीटों की तरह इन चारों सीटों पर भी एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला दिखा. गिरिडीह में जयराम महतो की पार्टी के प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता, तो बोकारो, चंदन कियारी और सिंदरी विधानसभा में भी जयराम महतो की पार्टी को वोट मिलने की सूचना है. धनबाद सीट पर भाजपा ने अपने सांसद पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटकर बाघमारा के भाजपा विधायक ढुल्लू महतो को मैदान में उतारा है. ढुल्लू महतो वैश्य समाज से आते हैं. इस समाज की धनबाद लोकसभा में संख्या भी अच्छी है. ढुल्लू महतो को टिकट मिलने से भाजपा के कुछ लोग नाराज भी दिखे. वोटिंग पर इसका कितना असर पड़ा है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
धनबाद में कांटे की लड़ाई
इधर, कांग्रेस ने बेरमो विधायक अनूप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह को धनबाद लोकसभा से टिकट दिया. अनुपमा सिंह राजनीति में नई है लेकिन उनके पास पति अनूप सिंह और ससुर स्वर्गीय राजेंद्र सिंह की विरासत है. इतना तो कहा ही जा सकता है कि भाजपा के कुछ कैडर वोटो में भी कांग्रेस ने सेंधमारी की है. दूसरी ओर ढुल्लू महतो ने भी मतदाताओं को बेहतर ढंग से साधा है. कोयलांचल में मजदूर राजनीति भी एक बड़ा फैक्टर है. विधायक अनूप सिंह और विधायक ढुल्लू महतो दोनों कोयला मजदूरों की राजनीति भी करते हैं. कोयला मजदूरों का क्या रुख रहा, इसका परिणाम तो 4 जून को ही पता चलेगा, लेकिन धनबाद में लड़ाई कांटे की है. इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है. जीत हार जिसकी भी हो लेकिन दोनों प्रत्याशियों ने धनबाद के चुनाव को रोचक और रोमांचक बना दिया है.
2019 के चुनाव में पशुपतिनाथ सिंह भाजपा के टिकट पर 4,84, 000 वोटो से जीत दर्ज की थी. वहीं कांग्रेस के कृति आजाद को लगभग 3 , 40,000 वोट मिले थे. पशुपतिनाथ सिंह भाजपा के तीन बार के सांसद रहे लेकिन इस बार भाजपा ने धनबाद में ओबीसी कार्ड खेला तो कांग्रेस ने सवर्ण जातियों को साधने के लिए अनुपमा सिंह को टिकट दे दिया. इसी तरह बगल के गिरिडीह लोकसभा सीट पर भी मुकाबला रोचक है. गिरिडीह से एनडीए के सहयोगी दल आजसू के चंद्र प्रकाश चौधरी फिर इस बार किस्मत आजमा रहे हैं, तो झारखंड मुक्ति मोर्चा ने टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो को चुनाव मैदान में उतारा है.
झारखंड की राजनीति में हाल के दिनों में उभरे जयराम महतो भी इस सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं. इस सीट पर कुर्मी वोटरों की संख्या अधिक है. यही वजह है कि तीनों महत्वपूर्ण चेहरों के बीच मुकाबला कड़ा है. तीनों प्रत्याशियों के बीच वोट भी बंटा है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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