रांची(RANCHI): झारखंड में खतियान आंदोलन से उभरे छात्र नेताओं का लोकसभा चुनाव में खाता नहीं खोल पाए. लेकिन विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है. क्यों कि जिस तरह से पहली बार चुनाव मैदान में जयराम महतो,देवेन्द्र महतो और संजय मेहता उतरे. भले ही उन्हे हार मिला है, लेकिन जिस प्रकार से जेबीकेएसएस के प्रत्यासी ने अपना दम खम दिखाया है. उससे तो साफ है कि भले ही जेबीकेएसएस को लोकसभा के चुनाव में हार मिला है. लेकिन विधानसभा में इसका नतीजा कुछ और होगा. क्योंकि इस बार जेबीकेएसएस के सामने देश के तमाम ऐसी पार्टियां थी, जिनका देश की राजनीति में अच्छा प्रदर्शन रहा है.
लोकसभा में जेबीकेएसएस का रहा अच्छा प्रदर्शन
हजारीबाग से संजय मेहता चुनावी मैदान में थे. संजय मेहता 107000 से अधिक वोट अपने नाम किया है. इस वोट से सीधे नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा है. इसके अलावा रांची सीट पर देवेन्द्र महतो ने भी एक लाख से अधिक वोट लाकर अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है. इन दोनों के अलावा अगर बात गिरिडीह की करें तो तीसरे नंबर पर जयराम महतो है.3लाख 12हजार से अधिक वोट प्राप्त किया है.
आकड़ों को देख चौकी सभी पार्टियां
इन वोट के आकड़ो को देख कर सभी पार्टी चौक गई है. जिस तरह से तीन सीट पर प्रदर्शन रहा.इससे साफ है कि विधानसभा चुनाव में इन प्रत्यशियों का अच्छा प्रदर्शन हो सकता है. महतो और कुर्मी वोटरों के बीच अपनी अच्छी पैठ जमाई है. रांची की बात करें ईचागढ़ विधानसभा में कुर्मी वोटर की संख्या अधिक है. यहां फिलहाल JMM का कब्जा है.लेकिन अगर विधानसभा चुनाव में मैदान में JBKSS आती है तो संकेत अच्छे नहीं है.
विधानसभा में जयराम को मिल सकत है लाभ
इसके अलावा गिरिडीह सीट पर भी कुर्मी वोटरों की संख्या किसी को विधानसभा भेजने के लिए काफी है. इस इलाके में जयराम एक युवा नेता के तौर पर सामने आए है. स्थानीय मुद्दे को जोर दे कर चुनावी पारी की शुरुआत की है. हालांकि यह मुद्दा लोकसभा में नहीं चला. लेकिन जब विधानसभा का चुनाव होता है यो स्थानीय मुद्दे हावी रहते है. जिसका फायदा जयराम को मिल सकता है.
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