दुमका(DUMKA): कोलकाता के एक निःसंतान दंपत्ति को अपने घर का चिराग मिल गया है. बक्सीबांध स्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान (एसएए) में आवासित डेढ़ साल के बालक को बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन डा. अमरेन्द्र कुमार, सदस्य डॉ राज कुमार उपाध्याय, महिला सदस्य नूतन बाला, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र, एसएए के प्रभारी तारिक अनवर, सामाजिक कार्यकर्ता वहीदा खातून ने मंगलवार की शाम पश्चिम बंगाल के कोलकाता में रहने वाले एक दंपत्ति के गोद में सौंप दिया. पति-पत्नी की गोद भर जाने से दोनों के चेहरे खुशियों से खिल गए. दोनों अपने साथ बच्चे के लिए ढेर सारे कपड़े और नया नाम लेकर आए थे. गोद देने की प्रक्रिया के साथ ही इस बच्चे का नए नाम के साथ पुर्नजन्म हो गया है. उसे गोद लेने वाले माता पिता से उसी प्रकार से सारे कानूनी अधिकार मिलेंगे जैसे किसी बच्चे को उसके जैविक माता-पिता से मिलते हैं.
बता दें कि साल 2018 से अबतक दुमका से दिया गया यह 14वां एडोप्सन है. इस बालक के जैविक माता-पिता को खोजने के लिए बाल कल्याण समिति, दुमका ने अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किया था. जब अखबारों में विज्ञापन प्रकाशन के 60 दिनों तक कोई भी इस बच्चे का माता-पिता होने का दावा करने के लिए सामने नहीं आया तो समिति ने जरूरी कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए 28 अक्टूबर 2022 को इस बालक को बाल कल्याण समिति दुमका के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के द्वारा एडोप्सन के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित कर दिया. जिसके बाद कोलकाता के इस निःसंतान दंपत्ति ने कारा (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) के वेबसाइट में 2018 में ही निबंधन किया था. बालक के कानूनी रूप से मुक्त किए जाने के बाद उन्होंने गोद लेने के लिए इस बालक को आरक्षित किया था. जांच एवं वांछित आवश्यक कागजात के साथ जरूरी प्रक्रिया को पूरा करते हुए प्री एडोप्सन केयर में इस बालक को दंपत्ति को सौंप दिया गया. जिला दंडाधिकारी के न्यायालय से इस एडोप्सन प्रक्रिया पर अंतिम रूप से निर्णय लिया जाना है.
रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका
4+